कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने जिला के किसानों से धान की पराली न जलाने की अपील करते हुए कहा कि धान के बचे अवशेष में खेती के लिए उपयोगी 17 तत्व पाए जाते है इसलिए इन्हें जलाए नही बल्कि खेत में ही जोत कर खेत की उपजाऊ शक्ति को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिला में धान की कटाई का समय आ गया है। ऐसे में कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
धान के फसल अवशेष में आर्गेनिक कार्बन कंटेंट भी उपलब्ध होता है। जिसमें नाइट्रोजन 0.65 प्रतिशत व पोटाशियम की मात्रा करीब 0.30 प्रतिशत होती है। ऐसे में धान की फसल अवशेष को पूसा डी कंपोजर की मदद से खेत मे ही सड़ा कर खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि किसान जीरो टिलऐज यंत्र के माध्यम से खड़ी फसल में भी गेहूं की बिजाई कर सकते है।
रोटावेटर के माध्यम से खेत को जोत सकते है व सुपरसीडर की मदद से जुताई व बिजाई दोनों एक साथ की जा सकती है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कटाई से पहले ही इंसीटू एक्सीटु कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गए है जिस पर 50 प्रतिशत की अनुदान राशि व्यक्तिगत किसान व 80 प्रतिशत की अनुदान राशि कस्टम हायरिंग सेंटर को दी गई है ।