फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत राज्य सरकार द्वारा बेलर के माध्यम से गांठ बनाकर फसल अवशेष प्रबन्धन करने के साथ-साथ खेत में ही मशीनों की सहायता से धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी। कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली नहीं जलाने व प्रोत्साहन राशि के बारे जागरूक किया जा रहा है।
जहां किसान को गांठ बेचकर अतिरिक्त आमदनी होगी, वहीं किसान द्वारा धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। किसान धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने के लिए हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रिवर्सीबल एमबी प्लाऊ, जीरो ड्रिल, रोटावेटर एवं हैरो की सहायता से मिलाकर प्रोत्साहन राशि हेतू आवेदन कर सकते हैं। इस बार सरकार द्वारा दोनों प्रकार के अवशेष प्रबन्धन पर हजार रुपये प्रति एकड़ देने का फैसला किया है।
इसके लिए किसान को विभागीय पोर्टल 222.ड्डद्दह्म्द्बद्धड्डह्म्4ड् डठ्ठड्ड.द्दश1.द्बठ्ठ पर आगामी 31 दिसंबर 2022 तक पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इस पंजीकरण के लिए किसान का मेरी फसल मेरा ब्यौरा होना चाहिए। गांव स्तर पर कमेटी द्वारा कार्य के सत्यापन उपरान्त संबंधित किसान के खाते में प्रोत्साहन राशि डाल दी जाएगी। सभी किस्मों के लिए यह स्कीम लागू है। किसान के लिए प्रोत्साहन राशि के लिए अधिकतम क्षेत्रफल की कोई सीमा नहीं है।
उपायुक्त ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि किसान पराली या अन्य फसल अवशेष को न जलाएं। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है। इसके साथ ही लाभदायक कीट भी मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को बहुत भारी नुकसान होता है, जो कि मानव जीवन के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है, इस बारे में संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैं।