गोवा मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहीद करनैल सिंह बैनीपाल की धर्मपत्नी चरणजीत कौर को बुधवार को गोवा के मुख्यमंत्री डा0 प्रमोद सावंत ने बडौला गांव में आकर उन्हें सम्मानपूर्वक सम्मानित किया। इस सम्मान की घोषणा सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव और गोवा के मुक्ति के 60 साल मनाते हुए की थी। इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री डा0 प्रमोद सांवत ने चरणजीत कौर को 10 लाख रूपये की राशि का चैक भी प्रदान किया तथा उन्हें श्रीफल, स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया। इस मौके पर उनके साथ अम्बाला शहर के स्थानीय विधायक असीम गोयल नन्यौला भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री श्री सांवत ने इस मौके पर परिजनों की मांग पर गोवा स्थित पात्रादेवी बार्डर की मुख्य सडक़ का नाम शहीद करनैल सिंह बैनीपाल के नाम से रखने की भी बात कही और यह भी कहा कि वहां पर उनकी प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी।
गोवा के मुख्यमंत्री डा0 प्रमोद सांवत ने शहीद करनैल सिंह बैनीपाल की पत्नी चरणजीत कौर का आशीर्वाद लेते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि सन 1955 में गोवा मुक्ति आंदोलन में जिन्होंने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है, ऐसे सभी लोगों को आजादी के अमृत महोत्सव काल के तहत सम्मानित करने का काम किया जा रहा है। गोवा में 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में ऐसे सभी लोगों को सम्मानित करने का काम किया गया है जिनमें शहीद करनैल सिंह बैनीपाल के परिजन भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में चरणजीत कौर के भाई गुरचरण सिंह व उनकी भाभी कुलवंत कौर पहुंची थी और उन्होंने गांव बडौला में आने का उन्हें निमंत्रण दिया था। उन्होंने कहा कि इसी निमंत्रण के तहत वे आज यहां पहुंचे हैं और उन्हें चरणजीत कौर का आशीर्वाद मिला है जिसके लिए वे अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं। इस मौके पर उन्होंने शहीद करनैल सिंह बैनीपाल द्वारा गोवा मुक्ति आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए उन्हें अपनी श्रद्धांजली भी दी।
मुख्यमंत्री डा0 प्रमोद सांवत ने यह भी कहा कि भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन गोवा आजाद नहीं हो पाया था। गोवा को आजाद करने के लिए संघर्ष चल रहा था। इसी के तहत मध्यप्रदेश की सरोजनी देवी तिरंगा हाथों में लेकर पात्रादेवी बार्डर से गोवा के लिए निकली थी तो उस दौरान पुर्तगालियों ने उस पर गोलियों से हमला कर दिया था। इस दौरान करनैल सिंह बैनीपाल सबसे पीछे थे और उन्होंने आगे आकर तिरंगे को अपने हाथ में लिया और पुर्तगालियों द्वारा चलाई गई गोली से वे शहीद हो गये। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजी हकुमत में जलिवांला हत्याकांड में सबसे ज्यादा अत्याचार हुए थे और उसके बाद पुर्तगालियों द्वारा पात्रादेवी बार्डर व गोवा के आस पास काफी अत्याचार हुए थे। मुख्यमंत्री के नाते शहीद करनैल सिंह बैनीपाल के बलिदान को स्मरण करने व चरणजीत कौर का आशीर्वाद लेना उनका कत्र्तव्य बनता है। इसी कडी में आज गोवा सरकार व वहां की लोगों की ओर से यहां आकर उन्होंने चरणजीत कौर को सम्मानपूर्वक सम्मानित करने का काम किया है। गोवा सरकार चरणजीत कौर के साथ हमेशा है। जो भी मदद या कोई बात परिजनों द्वारा उनके संज्ञान में लाई जायेगी उसके लिए वे हमेशा उनके साथ है। आजादी के अमृत महोत्वस काल के तहत गोवा मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले ऐसे सभी लोगों को सम्मानित करने में गोवा सरकार हमेशा आगे रहेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर अमृत महोत्सव काल के तहत अनसंग वीरों को सम्मानित करने का जो कार्य किया जा रहा है वह काफी सराहनीय है। पत्रकारों द्वारा पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि गोवा मुक्ति आंदोलन में जिन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई है ऐसे सभी लोगों के नाम से गोवा के प्राईमरी स्कूलों का नाम रखे जाने का काम किया जा रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री डा0 प्रमोद सांवत ने चरणजीत कौर, उसके भाई गुरचरण सिंह, भाभी कुलवंत कौर, परमजीत बडौला, महेन्द्र सिंह व अन्य से मिलकर परिवार का कुशलक्षेम भी पूछा और शहीद करनैल सिंह द्वारा गोवा मुक्ति आंदोलन में भूमिका निभाने के लिए उनके बलिदान की भी सराहना की।