हरियाणा सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल आरंभ किया है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अब सीधे ही आपदा में फसलों को पहुंचे नुकसान की जानकारी स्वयं दर्ज कर सकेंगे। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से वंचित किसानों को इस पोर्टल का लाभ मिलेगा।
जिला में हुई बरसात से जिन किसानों की फसल क्षतिग्रस्त हुई है वे किसान 72 घंटों के अंदर-अंदर ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल https://fasal.haryana. gov.in/farmer/ पर क्षतिग्रस्त हुई फसल की भरपाई के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह फसल नुकसान की स्थिति में आवेदन, सत्यापन और मुआवजा प्रदान करने की प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में हरियाणा सरकार का ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना व सीड विकास कार्यक्रम के तहत कवर हैं उन किसानों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है, उन किसानों को इस सुविधा का लाभ मिलेगा। इसके लिए किसानों को ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल के अलावा कही भी पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि संबंधित खसरा नंबर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल पर किसान समय-समय पर अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं।
पंजीकरण हेतु मोबाइल नंबर, परिवार पहचान पत्र या ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पंजीकरण नम्बर में से कोई एक अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि किसानों को आग, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा, शीतलहर, भूकम्प, भूस्खलन, बादल फटना, जलभराव, भारी बारिश, कीट का हमला और धूल भरी आंधी के कारण होने वाले फसल नुकसान पर मुआवजा मिलेगा। फसल के मुआवजे के लिए 5 स्लैब निर्धारित किए गए है जोकि 0 से 24 प्रतिशत, 25 से 32 प्रतिशत, 33 से 49 प्रतिशत, 50 से 74 प्रतिशत और 75 से 100 प्रतिशत में दिया जाएगा।
डीसी ने बताया कि पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर से लॉगिन फॉर्म से अपना-अपना लॉगिन करेंगे। वे फसल नुकसान के लिए किसान द्वारा प्रस्तुत आवेदन को देख सकेंगे। फसल हानि का प्रतिशत तथा खसरा नम्बर की फोटो भरेंगे और अपनी प्रतिक्रिया देंगे। एसडीएम अपने लॉगिन फॉर्म से लॉगिन करेंगे और पटवारी, कानूनगो व तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत किए गए बेमेल डेटा को देख सकेंगे। उन्होंने बताया कि किसान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत का पुन: सत्यापन भी संबंधित एरिया के एसडीएम द्वारा किया जाएगा।