भिवानी देश का वह जिला है, जिसे मुक्केबाजों की फैक्ट्री कहा जाता है। पूरे विश्व में एक ही समय पर सबसे अधिक संख्या में मुक्केबाजी की प्रैक्ट्सि खिलाड़ी जहां करते है, वह स्थान भिवानी हैं। यहां एक समय में 1200 के लगभग मुक्केबाज अंतर्राष्ट्रीय पदकों के लिए प्रैक्ट्सि करते हुए नजर आते हैं। भिवानी जिला को जहां खेल नगरी व मिनी क्यूबा के उपनामों से जाना जाता रहा है, अब वह पूरे विश्व में मुक्केबाजी का गढ़ बन गया हैं। हरियाणा की मिट्टी मैडल उगलती है।
यह बात हालही में हुए कॉमनवेल्थ खेलों व इससे पूर्व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में साबित हो चुकी है। यदि मुक्केबाजी का जिक्र करे तो सबसे अधिक उपलब्धि भिवानी जिला की दुनिया भर में रही हैं। वर्ष 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक में जब बिजेंद्र सिंह ने देश के लिए बॉक्सिंग में पहला मैडल प्राप्त किया था, उसके बाद से एकाएक भिवानी में मुक्केबाजी का क्रेज बढ़ा। इस बढ़ते क्रेज के बाद भिवानी के हर घर में मुक्केबाज पैदा होने लगे हैं।
भिवानी की उपलब्धियों की बात करें तो भिवानी जिला के बिजेंद्र सिंह को देश को सबसे बड़ा राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार व पदम श्री पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा भिवानी जिला के खिलाड़ी अब 23 अर्जुन अवॉर्ड, हरियाणा सरकार द्वारा दिए जाने वाले 28 भीम अवॉर्ड भी प्राप्त कर चुके है। खेल प्रशिक्षण के क्षेत्र में 4 द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी भिवानी जिला के नाम दर्ज है। भिवानी जिला में अब तक लगभग 3 हजार के लगभग राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में अपनी पहचान बना चुके है। यही कारण है कि भिवानी को खेल नगरी की उपाधि मिली हुई हैं।
भिवानी के द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच जगदीश सिंह का कहना है कि भिवानी ना केवल भारत, बल्कि दुनिया का वह शहर है, जहां एक समय में 1200 के लगभग मुक्केबाज एक्शन में होते है तथा मुक्केबाजी की प्रैक्ट्सि विभिन्न अकादमियों में कर रहे होते है। भिवानी शहर में 12 मुक्केबाजी अकादमी है तथा ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 10 अकादमी है। इस प्रकार कुल 22 मुक्केबाजी अकादमी जिला में हैं। द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच जगदीश सिंह ने बताया कि भिवानी में मुक्केबाजी की शुरूआत कैप्टन हवासिंह व आरएस यादव ने की थी। भिवानी जिला से पहले ओलंपियन मुक्केबाज खिलाड़ी संदीप गोलन ने 1992 में हुए बर्सिलोना ओलंपिक में भागीदारी की थी।