ग्रामीण ने जानकारी देते हुए बताया कि हर साल बरसात के सीजन में बाढ़ के पानी से उनकी फसलें खराब हो जाती है। कहने को तो पटवारी खराब फसलों की गिरदावरी भी करके ले जाते हैं पर मुआवजे के नाम किसानों के साथ मजाक किया जाता है। पांच सौ सात सौ से ज्यादा मुआवजा आज तक किसी भी किसान को नहीं मिला।
किसानों का कहना है कि प्रशासन हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर बाढ़ बचाव राहत कार्य करवाता है पर आज तक यह समझ नहीं आया कि यह कार्य आखिर कहां पर किए जाते हैं। क्योंकि कभी आज तक किसानों की फसलें खराब होने से नहीं बच सकी। बाढ का पानी हर साल मेहनत बर्बाद कर जाता है और लाचार किसान सिर्फ देखता रह जाता है।
किसानों ने प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए कहा कि आखिर कब तक हम इसी तरह फसलें बर्बाद करवाते रहे। किसानों ने मांग की है कि पथराला नदी से बाहर निकलकर बाढ़ का पानी तबाही मचाता है। प्रशासन द्वारा नदी के किनारे ऊंची पटरी बंधवानी चाहिए ताकि बाढ़ का पानी बाहर ना निकलें।