November 21, 2024
धान की बिजाई का समय आ रहा है जिसमें किसान पारम्परिक विधि से धान की पौध तैयार करके आगामी 15 जून से धान की रोपाई खेत में करते हैं। जबकि इस समय तापमान अधिक होने के कारण पानी का अत्याधिक वाष्पिकरण होने से पानी की खपत बहुत ज्यादा होती है। इसके अतिरिक्त धान की रोपाई करने में श्रम भी अधिक लगता है। जिससे धान की खेती पर होने  वाले खर्च में वृद्धि होती है। इस खर्च को कम करने के लिये किसान धान की सीधी बिजाई डीएसआर मशीन द्वारा कर सकते हैं। जिससे नीचे गिरते भू-जल स्तर को भी बचाया जा सकेगा।
डीएसआर विधि में तर-बतर खेत में धान की सीधी बिजाई की जाती है। जून माह का पहला पखवाड़ा सीधी बिजाई के लिये उपयुक्त है व पहला पानी बिजाई के लगभग 21 दिन बाद लगाया जाता है। इस विधि से बिजाई करने में 15 से 20 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है, खरपतवारों की समस्या कम होती है व जड़ें गहरी चले जाने के कारण लौह तत्व की समस्या बहुत कम आती है। इसके लिये किसान सीधी बिजाई रेतिली जमीनों में न करें व केवल उन्ही खेतों में करें जिसमें किसान पहले से ही धान की फसल ले रहें हैं। जहाँ एक ओर धान की सीधी बिजाई वाली फसल में धान की पैदावार रोपाई करके लगाई गई धान की फसल के बराबर होती है वहीं दूसरी ओर 7 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है। जिस कारण धान की पराली सम्भालने व गेहूँ की बिजाई करने के लिये अधिक समय मिल जाता है।
किसान धान की खेती को छोड़कर मक्का की खेती करना चाहते हैं वह म़ेज प्लान्टर (मक्का बिजाई मशीन) के द्वारा मक्का की सीधी बिजाई कर सकतें हैं जिससे पानी की अत्याधिक बचत होती है। धान की सीधी बिजाई मशीन व मक्का बिजाई मशीन खरीदने पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा क्रमश: 40 हजार रूपये व 20 हजार रूपये तक का अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। धान की सीधी बिजाई करने पर 4 हजार रूपये की दर से प्रोत्साहन राशि भी किसानों को उपलब्ध करवाई जायेगी। इन यन्त्रों पर अनुदान हेतू अनुसूचित जाति के किसानों के लिए अलग से लक्ष्य निर्धारित किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *