गौवंश की सुरक्षा एवं सरंक्षण के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है और सरकार द्वारा प्रदेश में गौवंश सरंक्षण एवं गौ संवर्धन के लिए देश का सबसे सशक्त अधिनियम वर्ष 2015 में गोपाष्टमी से लागू किया है। इस अधिनियम के तहत गौवंश के वध पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि गौ वध के लिए गौ तस्करी पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही गौ मांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि गौवंश की रक्षा के लिए इस अधिनियम की उल्लघना करने पर अधिकत्तम 10 साल का कठोर कारावास तथा एक लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है।
उन्होंने बताया कि अधिनियम के तहत नियमों का उल्लघन करने वाले दोषी व्यक्ति को कम से कम 3 साल का कठोर कारावास भुगतना होगा तथा 30 हजार रूपये का जुर्माना देना होगा। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में एक साल की अतिरिक्त सजा होगी और अधिनियम के तहत अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन जब्त कर लिए जाएगें।
उपायुक्त ने आगे बताया कि इस अधिनियम के तहत गौवंश सुरक्षा के लिए प्रदेश में ऐसे अभ्यारणों की स्थापना की गई है, जहां बीमार, बेसहारा और घायल गायों का उपचार एवं उनका रखरखाव किया जाता है।
गौ संवर्धन के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। देसी नस्ल की गायों के सरंक्षण एवं उत्थान के लिए नई योजनाएं क्रियांवित की जा रही है व देसी गायों के दूध के उत्पादन, प्रस्ंसकरण एवं विपणन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कैरोटिन एवं दूध तथा दुग्ध उत्पादों के अन्य घटको की जांच तथा ए-1 व ए-2 में अंतर की पहचान के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में देसी नस्ल की गायों की मिनी डेरी इकाईया स्थापित करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत की अनुदान राशि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि हरियाणा तथा साहिवाल नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के पालकों को दूध उत्पादन के आधार पर 10 हजार रूपये से लेकर 20 हजार रूपये तक प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके साथ ही वीटा मिल्क प्लांट देसी गायों के दूध के प्रसंस्करण के लिए समर्पित है।