किसान आंदोलन की पांचवीं वर्षगांठ पर करनाल में किसान, मजदूर और कर्मचारियों ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। सभी किसान, कर्मचारी व मजदूर महात्मा गांधी चौक पर एकत्रित हुए और जिला सचिवालय तक मार्च निकालते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने 2021 में केंद्र सरकार व संयुक्त किसान मोर्चा के बीच हुए समझौते को लागू करने और चार लेबर कोड वापिस लेने की मांग उठाई। जिला सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन के दौरान किसान, मजदूरों और कर्मचारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए और लेबर कोड के नोटिफिकेशन की प्रतियां जलाकर रोष प्रकट किया और मांगों संबंधी ज्ञापन हरियाणा सरकार के नाम तहसीलदार को सौंपा गया।
भाकियू जिला प्रधान सुरेंद्र घुम्मन ने कहा कि किसान आंदोलन को पाँच वर्ष हो गए लेकिन सरकार ने अभी तक अपने किए वादों को पूरा नहीं किया। किसानों की मेहनत की कीमत एमएसपी पर मिले, इसके लिए कानूनी गारंटी कानून बनना जरूरी है। हम शांत हैं, लेकिन यदि सरकार ने समझौते लागू नहीं किए तो किसान फिर से विशाल आंदोलन करेगा। अब और इंतजार नहीं होगा।
एसकेएस जिला प्रधान सुशील गुज्जर ने चेतावनी दी कि चार लेबर कोड लागू होने से 29 मजदूर हितैषी कानून खत्म हो जाएंगे, जिससे मजदूरों के संवैधानिक अधिकार खतरे में पड़ जाएंगे। यह कोड पूंजीपतियों के पक्ष में हैं और मजदूरों की आवाज दबाने का काम करेंगे। हम साफ कहते हैं अगर सरकार ने इन्हें वापिस नहीं लिया तो संयुक्त किसान मोर्चा बड़े आंदोलन के लिए तैयार है, और उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। मजदूर देश की रीढ़ हैं। अगर उनके अधिकार छीने गए तो देश का विकास रुक जाएगा। सरकार को मजदूर विरोधी नीतियों से बाज आना चाहिए। हमने लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष किया है, और आगे भी करेंगे। लेकिन सरकार ने अगर समस्याओं का हल नहीं किया तो सडक़ों पर संघर्ष तेज होगा।