November 26, 2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कुरुक्षेत्र में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के मौके पर आयोजित समागम में शिरकत की। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत की विरासत का एक शानदार संगम है। उन्होंने बताया कि सुबह वे रामायण की नगरी अयोध्या में थे और अब वे गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा कि सभी लोग आज यहां श्री गुरु तेग बहादुर जी को उनके 350वें शहीदी दिवस के मौके पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिए आए हैं। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में संतों और सम्मानित संगत को अपना सम्मानपूर्ण अभिवादन व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने सबसे पहले गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, श्री कृष्ण पाल गुर्जर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महारात और अन्य गणमान्य कार्यक्रम में मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के मौके पर एक सिक्का, एक यादगार स्टैम्प और एक कॉफी टेबल बुक भी जारी की। गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के सम्मान में, भारत सरकार एक साल तक चलने वाला कार्यक्रम मना रही है। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन और विरासत पर लगी प्रदर्शनी भी देखी।
इस मौके पर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रधानमंत्री को एक सिरोपा भेट किया। इस मौके पर 350 बच्चों ने गुरु कीर्तन किया। श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन और उनके सर्वोच्च बलिदान को प्रदर्शित करते हुए एक सैंड आर्ट शो भी दिखाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 5-6 साल पहले एक और अद्भुत सयोंग बना था। साल 2019 में 9 नवंबर को जब राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया था, तो उस दिन वे करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में थे। वे उस समय यही प्रार्थना कर रहे थे कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, करोड़ों राम भक्तों की आकांक्षा पूरी हो और हम सभी की प्रार्थना पूरी हुई, उसी दिन राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया। अब आज अयोध्या में जब धर्म ध्वजा की स्थापना हुई है, तो फिर उन्हें सिख संगत से आशीर्वाद लेने का मौका मिला है।
उन्होंने कहा कि आज ही कुरुक्षेत्र की भूमि पर पांचजन्य स्मारक का लोकार्पण भी किया। कुरुक्षेत्र की इसी धरती पर खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था। उन्होंने कहा था – स्वधर्मे निधनं श्रेय:। अर्थात, सत्य के मार्ग पर अपने धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना, और इस धर्म की रक्षा उन्होंने अपने प्राण देकर की। इस ऐतिहासिक अवसर पर, भारत सरकार ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के चरणों में, एक स्मृति डाक टिकट और विशेष सिक्का भी जारी किया है।

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