गंगा घाट, ब्रह्मसरोवर, कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के अंतर्गत नारायण पिरामिड ध्यान केंद्र द्वारा आयोजित 16 से 30 नवम्बर 2025 तक चलने वाले ध्यान शिविर का शुभारंभ अत्यंत उत्साह, आध्यात्मिक ऊर्जा और सामूहिक सहभागिता के साथ हुआ। उद्घाटन दिवस पर ही 1000 से अधिक लोगों ने आनापानसति ध्यान सीखकर आत्मिक शांति, मानसिक स्पष्टता और सकारात्मक जीवन ऊर्जा का अनुभव किया।
शिविर की विशेषता यह रही कि सभी आयु वर्ग—बुजुर्ग, युवा, विद्यार्थी और छोटे बच्चे—उत्साहपूर्वक उपस्थित रहे और ध्यान का अद्भुत अनुभव प्राप्त किया। वरिष्ठ ध्यान प्रशिक्षकों मीनाक्षी खुरानिया एवं निखिल खुरानिया ने ध्यान के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नियमित ध्यान तनाव कम करता है, करुणा बढ़ाता है और जीवन में धैर्य व संतुलन का विकास करता है।
ध्यान शिविर के दौरान स्वयंसेवकों ने पूरे भाव से पम्पलेट वितरण, मार्गदर्शन और ध्यान प्रचार की सेवा निभाई, जिससे बड़ी संख्या में लोग ध्यान से परिचित हुए और इससे जुडऩे के लिए प्रेरित हुए। केंद्र के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक ध्यान, शांति और आत्म-विकास का संदेश पहुँचाना है। पूरे दिन शिविर स्थल पर श्रद्धा, सौहार्द, सकारात्मकता और ऊर्जा का वातावरण छाया रहा, जहाँ बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दिव्य आयोजन के प्रथम दिन की अनुपम सफलता ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि ध्यान, सेवा और सामूहिक साधना के माध्यम से समाज में शांति, जागरूकता और सद्भाव का विस्तार पूरी तरह संभव है।
शिविर की विशेषता यह रही कि सभी आयु वर्ग—बुजुर्ग, युवा, विद्यार्थी और छोटे बच्चे—उत्साहपूर्वक उपस्थित रहे और ध्यान का अद्भुत अनुभव प्राप्त किया। वरिष्ठ ध्यान प्रशिक्षकों मीनाक्षी खुरानिया एवं निखिल खुरानिया ने ध्यान के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नियमित ध्यान तनाव कम करता है, करुणा बढ़ाता है और जीवन में धैर्य व संतुलन का विकास करता है।
ध्यान शिविर के दौरान स्वयंसेवकों ने पूरे भाव से पम्पलेट वितरण, मार्गदर्शन और ध्यान प्रचार की सेवा निभाई, जिससे बड़ी संख्या में लोग ध्यान से परिचित हुए और इससे जुडऩे के लिए प्रेरित हुए। केंद्र के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक ध्यान, शांति और आत्म-विकास का संदेश पहुँचाना है। पूरे दिन शिविर स्थल पर श्रद्धा, सौहार्द, सकारात्मकता और ऊर्जा का वातावरण छाया रहा, जहाँ बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दिव्य आयोजन के प्रथम दिन की अनुपम सफलता ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि ध्यान, सेवा और सामूहिक साधना के माध्यम से समाज में शांति, जागरूकता और सद्भाव का विस्तार पूरी तरह संभव है।