
गीता ज्ञान संस्थानम् में रामायण उत्सव का मंचन किया गया। रास कला मंच सफीदों मंचित किए गए इस रामायण उत्सव का शुभारंभ गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
उत्सव के पहले दिन राम जन्म, ताड़का और सुबाहू सहित अनेक असुरों का वध, राम बनवास, दशरथ निधन, भरत मिलाप, सीता हरण तथा सूर्पनखा की नाक काटने जैसे दृश्य राष्ट्र के प्रबुद्ध कलाकारों द्वारा मंचित किए गए।
देश में पहली बार गीता ज्ञान संस्थानम् में मंचित इस रामायण उत्सव में दर्शक बड़ी संख्या में पहुंचे। इस उत्सव के प्रति दर्शक का उत्साह इतना ज्यादा था कि पंडाल छोटा पड़ गया। दर्शकों ने पूरे उत्साह के साथ उत्सव का आनंद लिया और कलाकारों का हौसला बढ़ाया।
रामायण उत्सव के निर्देशक रवि मोहन भारद्वाज ने जानकारी दी कि इस उत्सव में देश भर के विभिन्न प्रदेशों के करीब 125 उत्कृष्ट कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।
इस रामायण उत्सव का मंचन पहली बार गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद की आशीर्वाद से गीता ज्ञान संस्थानम में चल रहा है। इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने अपने आर्शीवचन में रास कला मंच के कलाकारों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि यह रामायण उत्सव तथ्यों पर आधारित है। इसमें महर्षि वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास द्वारा रचित राम चरित्र मानस सहित अनेक रामायण से तथ्य लिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि महारानी कैकई ने कभी भी राम के लिए वनवास और अपने बेटे भरत के लिए राज नहीं मांगा था। वह तो राम को अयोध्या का राजा बनाना चाहती थीं, लेकिन भगवान श्रीराम ने रानी कैकई को कहा कि माता, मेरा जन्म राज करने के लिए नहीं, बल्कि राक्षसों का वध करने और महाराजा बाली से वह मुकुट वापस लाने के लिए हुआ है, जो बाली ने दशरथ से छीन लिया था।
इसी के साथ-साथ राजा दशरथ को वह वचन भी पूरा करना था, जो उन्होंने महारानी कैकई से शादी के वक्त उनके पिता को दिया था। कैकई के पिता ने कहा था कि वह उसी सूरत में अपनी बेटी की शादी राजा दशरथ से करेंगे, यदि कैकई की कोख पैदा हुए बेटे को अयोध्या का राजा बनाया जाए।
गीता मनीषी ने कहा कि यह रामायण उत्सव तथ्यों पर आधारित है और इसका मंचन अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर होना चाहिए, ताकि लाखों की संख्या में गीता जयंती पर आने श्रद्धालु इसका आनंद उठा सके और इसी तथ्यों से अवगत हो सकें।
इस अवसर पर पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन धर्मबीर मिर्जापुर, नगर परिषद थानेसर की अध्यक्षा प्रतिनिधि मलकीत ढांडा, विजय पाल सफीदों, मंगत राम जिंदल, सुरेंद्र जैन, मदन मोहन छाबड़ा, प्रेरणा संस्था संस्थापक डॉ. जयभगवान सिंगला, प्रसिद्ध समाजसेवी महावीर मढाण, राधे श्याम थन्नैई, राजेंद्र चोपड़ा, विजय नरूला, गीता ज्ञान संस्थानम् के मीडिया प्रभारी रामपाल शर्मा, गुरदयाल सुनहेड़ी, पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश मेहता, संजय कोछड़, चंडीगढ़ से आए नीरज मक्कड़ सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।