August 21, 2025
supremecourt

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि निर्वाचित सरकारें राज्यपालों की मर्जी पर नहीं चल सकतीं।

अगर कोई बिल राज्य की विधानसभा से पास होकर दूसरी बार राज्यपाल के पास आता है, तो राज्यपाल उसे राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते।

संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास चार विकल्प होते हैं- बिल को मंजूरी देना, मंजूरी रोकना, राष्ट्रपति के पास भेजना या विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटाना।

लेकिन अगर विधानसभा दोबारा वही बिल पास करके भेजती है, तो राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी होगी।

CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि अगर राज्यपाल बिना पुनर्विचार के ही मंजूरी रोकते हैं, तो इससे चुनी हुई सरकारें राज्यपाल की मर्जी पर निर्भर हो जाएंगी।

कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को यह अधिकार नहीं है कि वे अनिश्चितकाल तक मंजूरी रोककर रखें।

बेंच में CJI के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, पी एस नरसिम्हा और ए एस चंदुरकर शामिल हैं।

पांच जजों वाली बेंच गुरुवार को लगातार तीसरे दिन ‘भारत के राज्यपाल और राष्ट्रपति की तरफ से बिल को मंजूरी, रोक या रिजर्वेशन’ मामले की सुनवाई जारी रखेगी।

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