
उत्तराखंड में 5 अगस्त को बादल फटने के बाद हर्षिल में आई बाढ़ से यहां एक झील बन गई है। वहीं धराली गांव में मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम शुरू हो गया है।
इसके लिए सेना एडवांस पेनिट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल कर रही है। इससे खुदाई किए बगैर ही जमीन में दबे लोगों का पता लगाया जा सकता है।
पेनिट्रेटिंग रडार जमीन के नीचे एक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो तरंग भेजता है, जहां यह मिटटी, पत्थर, धातु और हड्डियों को अलग-अलग रंगों के जरिए बताता है।
इसके जरिए जमीन के नीचे 20-30 फीट तक फंसे लोगों या शवों की पहचान की जा सकती है।
उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त को दोपहर 1.45 बजे बादल फट गया था। खीर गंगा नदी में बाढ़ आने से 34 सेकेंड में धराली गांव जमींदोज हो गया था।
अब तक 5 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। 100 से 150 लोग लापता हैं, वे मलबे में दबे हो सकते हैं।