
‘मैंने बुजुर्गों से 1947 के बाद पाकिस्तान के दौर के बारे में सुना है। हिंदू तब भी इतने डरे हुए नहीं थे, जितना खौफ का माहौल अभी है। आज के बांग्लादेश के हालात हिंदुओं के लिए पूर्वी पाकिस्तान के हालात से भी खराब हैं।’
बांग्लादेश के चटगांव के रहने वाले देबाशीष ने ये बात उस वक्त कही थी, जब शेख हसीना का तख्तापलट हुआ था।
देश में नई अंतरिम सरकार बनी और हिंदू अचानक कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए थे। ये अगस्त, 2024 की बात है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन भड़का, तो वे भागकर भारत आ गईं।
शेख हसीना ने तो देश छोड़ दिया, लेकिन पीछे रह गए उनकी पार्टी अवामी लीग के मेंबर और हसीना के सपोर्टर माने जाने वाले हिंदू। सरकार गिरते ही हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले होने लगे।
आज यानी 5 अगस्त को शेख हसीना को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़े पूरा एक साल हो गया। उम्मीद थी कि डॉ. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में हालात बदलेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
ढाका के रहने वाले गोविंद चंद्र प्रामाणिक इस बात की पुष्टि करते हैं। वे बताते हैं, एक साल में हिंदुओं के लिए कुछ नहीं बदला।
5 अगस्त के बाद कुछ दिन तक तो अवामी लीग से जुड़े लोगों को निशाना बनाया गया। अब हिंदू टारगेट पर हैं। प्रशासन पहले से ज्यादा एक्टिव है, लेकिन आम मुस्लिमों में कट्टरपन बढ़ गया है।’