हरियाणा के पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह, जो अंबाला जिले के तत्कालीन नग्गल विधानसभा हलके से कुल 4 बार – 1982, 1991, 1996 और 2005 में विधायक बने थे, और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा, जो वर्ष 2013 से 2018 तक अंबाला नगर निगम के तत्कालीन सदर जोन क्षेत्र से वार्ड सदस्य (पार्षद) रह चुकी हैं, एवं जिन्होंने वर्ष 2020 में भारतीय चुनाव आयोग से हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एचडीएफ) के तौर पर अपना राजनीतिक द्ल पंजीकृत करवाया था, जिस पर उन्होंने दिसम्बर, 2020 में अंबाला नगर निगम चुनावों में पार्टी उम्मीदवार भी उतारे थे, उक्त दोनों पार्टी नेता गुरूवार को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए हैं और उन्होंने अपनी एचडीएफ पार्टी का आप पार्टी में विलय कर लिया है.
दिसम्बर, 2020 में अम्बाला नगर निगम चुनावों में एचडीएफ के 2 उम्मीदवार जीतकर नगर निगम सदस्य बने. उससे पूर्व हालांकि अक्टूबर, 2019 में 14 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावो में निर्मल सिंह ने अंबाला शहर विधानसभा हलके से और और चित्रा सरवारा ने अंबाला कैंट विधानसभा हलके से निर्दलीय के तौर पर ही विधायक का चुनाव लड़ा था.
शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि
हालांकि दोनों चुनाव हार गए थे परंतु दोनों ने अपने अपने हलके में 36 -36 % से ऊपर वोट हासिल किए थे. इन दोनों के कारण ही अंबाला शहर से कांग्रेसी उम्मीदवार जसबीर मलौर और अंबाला कैंट से कांग्रेसी प्रत्याशी वेणु सिंगला की जमानत राशि जब्त हो गई थी. इससे पूर्व उक्त दोनों हलकों में कांग्रेसी उम्मीदवारों ने कभी जमानत नहीं गंवाई थी.
बहरहाल, पहले लगातार 2 बार वर्ष 2015 और वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा आम चुनावों में ताज़ा पंजाब विधानसभा आम चुनावो में आप पार्टी की बम्पर जीत के बाद राजनीतिक हलकों में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि हरियाणा में भी आप पार्टी ऐसा ही प्रदर्शन दोहरा सकती है जिस कारण बीते कुछ दिनों से हरियाणा में कई पार्टियों के नेता आप में शामिल हो रहे हैं
हेमंत ने बताया कि जहाँ तक हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों का विषय है, तो वह अक्टूबर, 2024 में निर्धारित हैं एवं इस प्रकार वह अभी पूरे अढ़ाई वर्ष दूर हैं. हालांकि इससे पूर्व अगर प्रदेश में राजनीतिक परिस्थितियां बदलती है, तो समयपूर्व मध्यवधि चुनावों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
हरियाणा में शीघ्र ही 48 शहरी निकायों ( 29 नगर पालिकाओं और 19 नगर परिषदों ) के एवं उसके बाद फरीदाबाद नगर निगम के आम चुनाव करवाए जाने हैं. इसी दौरान बीते एक वर्ष से प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओ के आम चुनाव भी लंबित हैं. अगर उक्त चुनावो में आप पार्टी मजबूती से चुनाव लड़कर उनमें बढ़िया प्रदर्शन करती है तो हरियाणा में निश्चित तौर पर आप एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभर सकती है.