
जिले में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील हस्तक्षेप करते हुए एक नाबालिग बच्ची का विवाह प्रशासन, पुलिस और सामाजिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई से समय रहते रोका गया। यह कार्रवाई बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उमेश कुमार, जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना रानी, महिला संरक्षण एवं बाल विवाह अधिकारी भानू गौड़, पुलिस प्रशासन तथा एमडीडी ऑफ इंडिया की टीम के समन्वय से की गई।
बता दें कि जैसे ही यह जानकारी प्राप्त हुई कि एक नाबालिग बालिका का विवाह तय किया गया है, बाल संरक्षण यूनिट, पुलिस विभाग और बाल कल्याण समिति ने मौके पर पहुंचकर परिवार से बातचीत की। उन्हें बाल विवाह की सामाजिक और कानूनी गंभीरता से अवगत कराया गया। संवेदनशील संवाद और कानूनी जानकारी देने के बाद परिवार ने विवाह रोकने का निर्णय लिया।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उमेश कुमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा पारित बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार किसी भी लडक़ी की न्यूनतम विवाह योग्य आयु 18 वर्ष और किसी भी लडक़े की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है। यह अधिनियम बाल विवाह को अपराध की श्रेणी में लाता है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह करवाने वाले माता-पिता/संबंधित व्यक्ति, पुजारी/मौलवी और सहयोगी पक्षों को भी सज़ा का प्रावधान है जिसमें दो वर्ष तक की सजा या एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हैं। इसके अलावा विवाह अवैध घोषित किया जा सकता है और नाबालिग को सुरक्षा और पुनर्वास की सुविधा दी जाती है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई केवल एक बाल विवाह को रोकने तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज को यह स्पष्ट संदेश है कि हर बच्चे का बचपन उसका अधिकार है। समाज को चाहिए कि वे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य को प्राथमिकता दें, विवाह को नहीं। उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि करनाल जिले में कोई भी बच्चा बाल विवाह का शिकार न हो।
बाल संरक्षण अधिकारी रीना रानी ने बताया कि बाल संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम जागरूकता अभियान के ज़रिए समाज को लगातार जोड़ रहे हैं। महिला संरक्षण एवं बाल विवाह अधिकारी भानु गौड़ ने इस मौके पर कहा कि समाज में स्थायी बदलाव लाने के लिए ज़रूरी है कि हर व्यक्ति जागरूक हो और बच्चों के अधिकारों की रक्षा में सहभागी बने।
पुलिस प्रशासन ने भी इस कार्रवाई में संवेदनशील और सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि स्थिति शांतिपूर्वक सुलझे और भविष्य में ऐसा दोबारा न हो। यह संयुक्त प्रयास करनाल जिले में बाल संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक मिसाल है, जो यह दिखाता है कि जब प्रशासन, कानून और समाज साथ आएं, तो कोई भी कुप्रथा नहीं टिक सकती।