May 17, 2025
dengue malariya

प्री-मानसून की हल्की फुहार जहां गर्मी से राहत देती हैं, वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे बीमारियों के लिहाज से सावधानी का मौसम बताते हैं। अप्रैल से जून के बीच होने वाली बारिश जलजनित, मच्छरजनित और सांस संबंधी रोगों को जन्म देती है। हेल्थ एंड फिटनेस एक्सपर्ट का कहना है कि इस मौसम में सतर्क रहना और सही बचाव, उपाय अपनाना बेहद जरूरी है, वरना मामूली सी लापरवाही गंभीर बीमारियों में बदल सकती है। बारिश के कारण नालियों का ओवरफ्लो और जलभराव आम बात है, जिससे पीने का पानी तक दूषित हो सकता है। इसके चलते हैजा, टायफाइड और हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। हेल्थ एंड फिटनेस एक्सपर्ट मुकेश राणा कहते हैं कि लोगों को चाहिए कि वे उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं और सड़क किनारे मिलने वाले खुले भोजन से बचें। प्री-मानसून का मौसम भले ही सुकून दे, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए कई खतरे लेकर आता है। ऐसे में सावधानी ही सुरक्षा है। स्थानीय प्रशासन और आम जनता दोनों को मिलकर इस मौसम में सतर्कता बरतनी चाहिए, ताकि मौसम की ये खूबसूरत बारिश बीमारियों की वजह न बन पाए।

मच्छरों का प्रकोप भी होता है दोगुना

प्री-मानसून बारिश के बाद जमा हुए पानी में मच्छर तेजी से पनपते हैं। इससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के केस हर साल बढ़ जाते हैं। छतों पर, कूलरों में और घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। मच्छरदानी और मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।

सांस संबंधी और त्वचा रोग भी लेते हैं जोर

नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव से सर्दी, खांसी, फ्लू और निमोनिया जैसे संक्रमण आम हो जाते हैं। वहीं, भीगने के बाद शरीर को ठीक से न सुखाने पर फंगल संक्रमण और खुजली जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गीले कपड़े तुरंत बदलना, साफ-सफाई बनाए रखना और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार लेना इस मौसम में बेहद जरूरी है।

क्या करें, क्या न करें:

उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएं। शरीर को गीला न रखें, बारिश में भीगने के बाद कपड़े बदलें। घर और आसपास जलभराव न होने दें। मच्छरदानी और मॉस्कीटो रिपेलेंट का उपयोग करें। टीकाकरण कराएं (जैसे फ्लू वैक्सीन)। खुले में बिकने वाला खाना न खाएं।

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