
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विश्व में धर्मक्षेत्र कुुरुक्षेत्र धाम के रूप में अपनी पहचान बनाएंगा। इस गीता स्थली पर बड़े स्तर पर धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों के साथ-साथ देश व प्रदेश की संस्कृति से जुड़ पौराणिक संस्कृति व विरासत को जोडक़र कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रविवार को देर सायं ब्रह्मसरोवर व जियो गीता व धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से नव वर्ष व नव सम्वत पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, कैबिनेट मंत्री कृष्ण पंवार व गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने नव वर्ष नव सम्वत के आगमन पर ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग में महाआरती कर प्रदेशवासियों की सुख स्मृद्घि के लिए कामना की है।
इस महाआरती में स्वामी ज्ञानेश्वर महाराज, महेश मुनि महाराज, विधायक अशोक अरोड़ा, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने भाग लिया और पूजा अर्चना की है। इससे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी गीता ज्ञानम संस्थानम में पहुंचे और यहां पर संस्थानम की तरफ से नव वर्ष पर ध्वजारोहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेशवासियों को नवरात्रों व नव सम्वत की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के विशेष प्रयासों व जियो गीता परिवार व सभी धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से नव वर्ष व नव सम्वत पर भव्य कार्यक्रम किया गया है।
इन तमाम प्रयासों से कुरुक्षेत्र के साथ-साथ देश की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाया जा सकेगा। इसी पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने पूरे विश्व को पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश दिए। इन उपदेशों को आज अपने जीवन में धारण करने की जरूरत है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जियो गीता के साथ-साथ शहर की 100 से ज्यादा सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से नव वर्ष नव सम्वत पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सैंकडों श्रद्धालुओं ने जियो गीता संस्थान से ब्रह्मसरोवर तक कीर्तन कर यात्रा निकाली।
इस प्रकार के कार्यक्रमों से कुरुक्षेत्र को कुरुक्षेत्र धाम के रूप में जाना जाएगा। इस मौके पर भाजपा के जिला अध्यक्ष तिजेन्द्र सिंह गोल्डी, केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा,केडीबी सदस्य अशोक रोसा,विजय नरुला, डा.ऋषिपाल मथाना, संयोजक जितेन्द्र ढ़ीगडा सहित धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।