फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूलस, हरियाणा और निसा के संयुक्त तत्वावधान में आज होटल पार्क प्लाजा, जीरकपुर, चंडीगढ़ में दो दिवसीय ‘स्कूल लीडर्स’ समिट- 2024 का आगाज हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्व प्रसिद्ध योग गुरु और आध्यात्मिक मार्गदर्शक परम पूज्य स्वामी रामदेव जी ने शिरकत की। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने शिक्षा में अभिनव क्रांति और नई शिक्षा नीति (एनईपी) को सफल बनाने के लिए आवश्यक कदमों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर उनके साथ निसा के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा और भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (पूर्व)आईएएस नागेंद्र प्रसाद सिंह भी उपस्थित रहे।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए योग गुरु स्वामी रामदेव ने भारतीय शिक्षा बोर्ड को बढ़ावा देने की बात करते हुए वन नेशन वन एजुकेशन के नारे पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में सनातन बोध हो, भारत बोध हो, भारत की समग्र सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, विरासत, इसको एक साथ लेकर आगे बढ़े। उन्होंने कहा के बच्चे इतिहास पड़े, मैथ में वैदिक मैथ, साइंस में वैदिक साइंस पड़े और सभी बच्चों के अंदर भारत की एकता, अखंडता का भाव हो, राष्ट्र धर्म, राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रहित की सोच हो और हमारे आने वाली पीढ़ी डिवाइन सिटीजन बने। इस मौके पत्रकारों द्वारा मजबूत लोकपाल संबंधी पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मजबूत लोकपाल के लिए आज भी उनका संघर्ष जारी है।
निसा के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में 100 मॉडल स्कूल बनाए जाएंगे और इन स्कूलों को निसा के क्वालिटी चार्टर से मैप करके सबसे पहले एक्सेस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इनकी जो भी कमियां निकलेगी, वह मिलकर दूर की जाएंगी, ताकि यह एक क्वालिटी स्कूल बन सके और पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सके। उन्होंने कहा कि निसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को विश्वगुरु बनाने के सपने को साकार करने में कदम से कदम मिलाकर मदद करेगी।
डॉ. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि से बड़ी संख्या में स्कूल निदेशक और प्रिंसिपल ने भाग लिया। इस आयोजन ने शिक्षा क्षेत्र में नवाचार, नेतृत्व और नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान किया। इस समिट में उपस्थित सभी स्कूलों ने मिलकर नई शिक्षा नीति को सफल बनाने और इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मिलजुल कर प्रयास करने का संकल्प लिया।
इस समिट में बात करते हुए भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (पूर्व)आईएएस नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि समय के साथ शिक्षा का स्वरूप बदलना जरुरी है। उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षा का मतलब सिर्फ नौकरी पाना ही समझते है, जिस कारण छात्रों में अध्यक्षता और समर्थयता की कमी रह जाती है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड इस कमी को दूर करेगा। उन्होंने कहा यह समिट शिक्षा के भविष्य को नई दिशा देने, नीतिगत बदलावों पर विचार-विमर्श करने और स्कूल नेतृत्व को सशक्त बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।