November 13, 2024

आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (आवा) द्वारा एक अनुकरणीय पहल, तीन दिवसीय साहित्यिक उत्सव -अभिव्यक्ति 4.0 – आज समापन दिवस की कार्यवाही पूर्व राजनयिक नवतेज एस. सरना और प्रसिद्ध लेखक डॉ. राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा  लेखन की चुनौतियों पर विचार साझा करने के साथ शुरू हुई।

इस अवसर पर पश्चिमी कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, एवीएसएम और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी पी मलिक द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल कमलजीत सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम (सेवानिवृत्त) की पुस्तक ‘जनरल जौटिंग्स’ का विमोचन भी किया।

डॉ. पिल्लई ने अपने मुख्य भाषण में पुस्तक लेखन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और एक अच्छे लेखक बनने के लिए पढ़ने की आदत विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

“हममें से प्रत्येक के पास बताने के लिए एक कहानी है और हमें यह जानना होगा कि उस कहानी को कैसे बताया जाए। भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग कई भाषाओं में  किताबें पढ़ रहें हैं  लेकिन जो किताबें पढ़ी जाती हैं वे मुख्य रूप से पाठ्य पुस्तकें हैं। इसलिए, हमारे पास लोगों को गैर-पाठ्य पुस्तकें भी पढ़ने के लिए प्रेरित करने का अवसर है,” डॉ. पिल्लई ने कहा।

वरिष्ठ पत्रकार विपिन पब्बी के साथ बातचीत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत सरना ने अपनी प्रसिद्ध कृतियां  – ‘द एग्ज़ाइल’ और ‘क्रिमसन स्प्रिंग ‘ के संदर्भ में रचनात्मक लेखन के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। ऐतिहासिक कथा-लेखन की दुविधा को स्वीकार करते हुए श्री सरना ने कहा: ” मैं विवरणों के बारे में बहुत सावधान रहा हूँ। मैंने केवल अंतराल को भरने के लिए कथानक का उपयोग किया है।”

महान क्रांतिकारी उधम सिंह पर एक सवाल पर  सरना ने कहा कि “उधम सिंह के बारे में बहुत सी बातें ज्ञात नहीं हैं, इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश न करें। इतिहास के प्रति सच्चे रहें। तारीखें सच होनी चाहिए।” कई मिथकों को उजागर करते हुए सरना का दृढ़ मत था कि “एक लेखक को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं से एक दूरी बनाए रखनी चाहिए। तभी आप निष्पक्ष होकर लिख सकते हैं।” सरना ने शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह और महारानी ज़िंदा के सबसे छोटे बेटे महाराजा दलीप सिंह के बारे में भी बात की, जो उनके उपन्यास ‘द एग्ज़ाइल’ का केंद्रीय विषय है।

पत्रकार सोनी सांगवान द्वारा संचालित ‘रीकिंडलिंग द हैबिट ऑफ रीडिंग’ विषय पर एक जीवंत पैनल चर्चा में पैनलिस्ट अजय जैन, वंदना पल्ली और सगुना जैन ने आज के युवाओं में पढ़ने की आदत डालने की चुनौतियों और अवसरों पर बात की।

अम्बरीन जैदी द्वारा संचालित ‘डिजिटल कथाएँ: स्क्रीन के युग में कथा वाचन’ पर पैनल चर्चा में  में गहन चर्चा की गई।

द ट्रिब्यून की प्रधान संपादक ज्योति मल्होत्रा ने अपने समापन भाषण में समाज में साहित्य की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा एक महिला पत्रकार के रूप में अपने अनुभव और यात्रा को भी साझा किया।

आवा की क्षेत्रीय अध्यक्ष शुचि कटियार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। अभिव्यक्ति 4.0 के भव्य समापन समारोह में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के सांस्कृतिक दलों द्वारा क्षेत्रीय नृत्यों की प्रस्तुति ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *