November 21, 2024

हरियाणा के राजस्व एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल से ही गाय भारतीय संस्कृति व परंपरा का मूल आधार रही है।  गाय भारत की आस्था और संस्कृति का मूल आधार है। वे शनिवार को श्री कृष्ण गौशाला में गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित गोपाष्टमी महोत्सव के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने गऊ माता की पूजा-अर्चना की और गऊ माता को गुड, चारा व जल पिलाकर आर्शीवाद लिया। कार्यक्रम में उन्होंने भव्य गौ चिकित्सालय का उदघाटन भी किया और गौशाला में 11 लाख रुपये देने की घोषणा की।
मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि प्रदेश सरकार गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन की दिशा में बेहतर कार्य कर रही है। इसके लिए सरकार प्रतिवर्ष गौशालाओं को करोड़ों रुपये की राशि भी मुहैया करवाती है। गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए भी सरकार ने अनेक योजनाएं शुरू की है। बेसहारा गौवंश को गौशालाओं तक पहुंचाने की दिशा में भी सरकार ने बेहतर कार्य किया है। धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से  भी गौसंरक्षण में अमूल्य सहयोग मिल रहा है और आमजन भी इस दिशा में सहयोग दे रहा है। गौ सेवा का कार्य हम सबके सहयोग के बिना असंभव है। हमें गौ सेवा के लिए अधिक से अधिक सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गीतामनीषी स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के मार्गदर्शन में गौ सेवा और धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भगवत गीता के प्रचार-प्रसार में भी हरियाणा सरकार प्रयासरत है। अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन के माध्यम से गीता जी का संदेश आज पूरे विश्व में पहुंच रहा है। आगामी 28 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक  कुरूक्षेत्र में आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में तनजानिया हमारा पार्टनर देश तथा उड़ीसा हमारा पार्टनर राज्य है।
कार्यक्रम में गीतामनीषी स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा कि  गौवंश की सेवा एवं रक्षा भी भगवान श्रीकृष्ण के इस धरा धाम पर अवतरण का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है।  श्री बालकृष्ण प्रभु के प्रथम गौचारण उत्सव को ही गोपाष्टमी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।  जिस ब्रह्म की चरण रज के लिए ब्रह्मा-शंकर तक तरसते हैं वो चरण गौमाता की सेवा के लिए कंकड़ पत्थर और कुंज-निकुंजों में विचरण करते हैं। गौमाता भगवान श्रीकृष्ण को सबसे अधिक प्रिय हैं। गौमाता की सेवा के कारण ही प्रभु का नाम गोपाल पड़ा। गौ माता की सेवा परिवार में सुख-शांति, समृद्धि एवं पूर्वजों को सद्गति प्रदायक होती है। गोपाल के साथ-साथ गौमाताओं की सेवा हम समस्त सनातन धर्मावलंबियों का प्रधान कर्तव्य है। गौ सेवा ही गोपाल को रिझाने का मूल मंत्र है। गोपाष्टमी के पावन दिवस पर यथा सामथ्र्य गौमाताओं की सेवा के संकल्प के साथ इस पावन पर्व को सार्थक बनाने का प्रयास अवश्य करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *