हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए हुए चुनाव में 67.9% मतदान हुआ। इस बार 2019 के मुकाबले 0.3% कम वोटिंग हुई। 5 साल पहले, 2019 में 69.20% लोगों ने वोट डाले थे।
10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति सत्ताविरोधी लहर के बावजूद वोटिंग प्रतिशत न बढ़ने के कई मायने हैं। वर्ष 2000 से 2019 तक हरियाणा में हुए 5 विधानसभा चुनाव के पोलिंग प्रतिशत से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो एक ट्रेंड नजर आता है।
इन 24 वर्षों में दो मर्तबा ऐसा हुआ जब वोटिंग परसेंटेज गिरा या फिर उसमें 1% तक की मामूली बढ़ोतरी हुई, और दोनों ही बार राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी। उसका फायदा उस समय सत्ता में रही पार्टी को मिला।
इस बार वोटर, खासकर जाट कम्युनिटी, BJP के खिलाफ खुलकर बोलती नजर आई। दलित आबादी का बड़ा हिस्सा भी भाजपा से नाराज था। इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत नहीं बढ़ा।
इससे लग रहा है कि विपक्ष में बैठी कांग्रेस के रणनीतिकार कहीं न कहीं इस गुस्से को वोटों में कन्वर्ट करने में चूक गए। साथ ही भाजपा के रणनीतिकार भी मतदान का दिन आने तक कहीं न कहीं चीजों को मैनेज करने में काफी हद तक कामयाब रहे।