चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी व कृषि विज्ञान केंद्र, दामला के कृषि वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने यमुनानगर शुगर मिल क्षेत्र के कई गांवों में गन्ने की फसल का निरीक्षण किया।
निरीक्षण टीम में कृषि वैज्ञानिक डॉ. महासिंह, डॉ. संदीप रावल, डॉ. हरबिंदर सिंह व डॉ. नवीन कुमार शामिल रहे। कुछ गांवों जैसे करतारपुर, इस्माइलापुर व तालाकौर में गन्ने की पत्तियों में पीलेपन की शिकायत मिली थी।
कृषि वैज्ञानिकों की टीम को निरीक्षण के दौरान करतारपुर गांव में काली कीड़ी, माइट, तराईबेधक व चोटी बेधक कीटों का प्रकोप मिला व गांव इस्माइलापुर, तालाकौर में कीटों के साथ-साथ सोका रोग की समस्या भी दिखाई दी।
विशेषज्ञों ने किसानों को काली कीड़ी की रोकथाम के लिए फेन्डाल दवाई 400 मिली. के साथ 10 किलोग्राम यूरिया का 400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव व तराईबेधक की रोकथाम के लिए अंडे के परजीवी का प्रयोग करने की सलाह दी।
एक ट्राइकोकार्ड को प्रति एकड़ की दर से चार बार अगस्त से लेकर सितम्बर तक खेत में छोड़ना चाहिए। ट्राइकोकार्ड चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी में उपलब्ध है। सोका रोग की समस्या जिन खेतों में हैं, वहां किसान भाई कम से कम तीन साल का फसल चक्कर अपनाएं व स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
खेतों में निरीक्षण के दौरान गन्ने के प्रगतिशील किसान सतपाल कौशिक, राजकुमार, अमरपाल कौशिक, गुरदेव सिंह, गुरमैल सिंह व राजेश सैनी भी उपस्थित रहे व टीम का सहयोग किया।
गन्ने के किसानों ने वैज्ञानिकों की टीम अति शीघ्र भेजने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग व माननीय कुलपति प्रोफेसर बलदेव राज कम्बोज का भी धन्यवाद किया।