पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने आज अपने समर्थकों सहित बिरला मंदिर बचाओ कमेटी द्वारा शुरू किए गए धरने में शामिल होकर अपना समर्थन दिया। पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा समर्थको सहित धरने में बैठे और उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर कुरुक्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर बिरला मंदिर को बिकने नहीं दिया जाएगा।
अरोड़ा ने आश्वासन दिया कि समाजसेवी अशोक शर्मा पहलवान के नेतृत्व में बिरला मंदिर बचाव समिति जो भी निर्णय भविष्य में लेगी वे उसका तन, मन, धन से समर्थन करेंगे।
अशोक अरोड़ा के साथ धरने में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमेन जलेश शर्मा, पूर्व नगर पार्षद विवेक मेहता विकी, पूर्व नगर पार्षद मन्नू जैन, डॉ ओम प्रकाश ओपी, पूर्व पार्षद पंकज चोचड़ा, सुनील सैनी, राधेश्याम गर्ग, सौरव गर्ग, सुभाष पाली, कुलदीप ढिल्लों हथीरा , प्रदीप भारद्वाज, नितिन मेहता, विवेक भारद्वाज डब्बू, पवन शर्मा लीला ,अजय कश्यप,नवनीत नरवाल,सुनील राणा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कहा कि जिला प्रशासन को बिरला मंदिर की रजिस्ट्री की जांच करवानी चाहिए और उन्हें रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धार्मिक डेरे के जिस महंत ने अपने नाम रजिस्ट्री कराई है, उसे चाहिए कि वह यह जमीन कमर्शियल साइट बनाने की बजाय मंदिर को वापस कर दे, यह महंत जी तो खुद मंदिर बनवाते हैं उन्हें मंदिर की जमीन खरीदना शोभा नहीं देता।
अशोक अरोड़ा ने पेशकश की कि यदि जमीन खरीदने वाले महंत को पैसे की जरूरत है तो वह जितनी राशि की रजिस्ट्री हुई है वह सारी राशि रजिस्ट्री खर्च सहित कुरुक्षेत्र की जनता के सहयोग से इकट्ठी करके महंत को देने के लिए तैयार हैं। ताकि यह जमीन वापिस मंदिर के पास ही रह सके।
अशोक अरोड़ा ने कहा कि बिरला मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक है। यह सनातन धर्म की पहचान है। कुरुक्षेत्र से इस मंदिर की यादें जुड़ी हुई है। कुरुक्षेत्र की जनता की आस्था इस मंदिर में है। इसलिए इस मंदिर परिसर को दुकानों में तब्दील करना किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। इस मंदिर को बचाने के लिए बड़े से बड़ा संघर्ष भी किया जाएगा।
अशोक अरोड़ा ने कहा कि बिरला मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक है। यह सनातन धर्म की पहचान है। कुरुक्षेत्र से इस मंदिर की यादें जुड़ी हुई है। कुरुक्षेत्र की जनता की आस्था इस मंदिर में है। इसलिए इस मंदिर परिसर को दुकानों में तब्दील करना किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। इस मंदिर को बचाने के लिए बड़े से बड़ा संघर्ष भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अभी तो बिरला मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने मंदिर के द्वार पर धरना दिया हुआ है। यदि जरूरत पड़ी तो वह मंदिर प्रांगण में जाकर धरना देने से भी गुरेज नहीं करेंगे। क्योंकि मंदिर एक सार्वजनिक स्थल है। इसमें कोई भी प्रवेश कर सकता है।
अशोक अरोड़ा ने कहा कि बिरला मंदिर बचाओ समिति का यह आंदोलन एक सामाजिक और धार्मिक आंदोलन है। जिसमें प्रत्येक नगरवासी को अपना सहयोग देना चाहिए।