गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एसबीआई बैंक द्वारा आयोजित शहर में स्थित मंगलसेन ऑडिटोरियम में अपने संबोधन के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए हम सब को प्राकृतिक खेती अपनानी होगी।
भारत देश व हरियाणा प्रदेश का किसान कठोर परिश्रम करने वाला व्यक्ति है। दुनिया के हर व्यक्ति को दिन में तीन बार किसान की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि किसान ही हर व्यक्ति का पेट भरने का कार्य करता है। उन्होंने किसानों को बताया कि जैविक खेती भारत की मूल खेती नहीं है। इसे छोडक़र हमसबको प्राकृतिक खेती ही अपनानी चाहिए।
प्राकृतिक रूप से होने वाली पैदावार ही हम सब के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। जिस प्रकार से जंगलों में प्रकृति के माध्यम से ही सब पौधे फलते-फूलते हैं, उसी प्रकार हम सब को अपने खेत में भी सभी फसलों को प्राकृतिक रूप से उगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रासायनिक प्रयोग के कारण हमारी जमीन के सभी पोषक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं, जो कि भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। रासायनिक खेती हमें शारीरिक रूप से हानि पंहुचाने के साथ-साथ वातावरण को भी दूषित करती है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गाय के एक टन गोबर की खाद से लगभग दो किलो नाइट्रोजन बनता है। इसलिए हमें गाय की खाद को ही खेत में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। खेत में गाय के गोबर की खाद डालने से लागत में कमी व उत्पादन बढ़ाने में भी हमारे काम आता है। भारत देश में गऊ माता हमें उपकार के रूप में मिली है।
दूध देने वाली देशी गाय के एक किलोग्राम गोबर में लगभग 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणु ही हमारी भूमि में उत्पादन बढ़ाने को लेकर मित्र कीट का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि अब निरंतर भविष्य में भी हरियाणा में प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों के बीच में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इतना ही नहीं, वर्तमान में चल रही नई कृषि तकनीकों के बारे में भी किसानों को अवगत करवाया जाएगा।
हम सब किसानों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों को बचाते हुए बदलाव अवश्य लाना होगा। इस दौरान उन्होंने करनाल जिले में तैनात कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह की भी खुले मन से प्रशंसा की और कहा कि वे कृषि विभाग तथा किसानों के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने डॉ. वजीर सिंह को स्मृति चिह्न देकर भी सम्मानित किया।
बॉक्स: फैमिली डॉक्टर नहीं, फैमिली प्राकृतिक किसान ढूंढें: आचार्य देवव्रत
आचार्य देवव्रत ने आमजन से अपील की कि वे वर्तमान युग में फैमिली डॉक्टर नहीं बल्कि प्राकृतिक किसान ढूंढें। प्राकृतिक उत्पादन के सेवन से हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहेगा जिससे हमें डॉक्टर की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इसी मिशन के तहत ही वे पूरे भारत देश के किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती को देश भर में लाखों किसान अपना रहे हैं और वे जमीन में उत्पाद प्राकृतिक रूप से ही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रासायनिक रूप से उगाए जाने वाले अनाज में 45 प्रतिशत तक पोषक तत्वों की कमी पाई जा रही है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने घटते भू -जल स्तर को लेकर भी चिंता जताते हुए किसानों को पानी के महत्व को लेकर जागरूक किया।
इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले कुछ प्रगतिशील किसानों को भी स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने विभिन्न कम्पनियों द्वारा लगाई गई तकनीकी मशीनों तथा उत्तम बीजों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और विस्तार से जानकारी ली।