‘बदलाव’ के अभियान के तहत आज हर क्षेत्र इस मुहिम से जुड़ रहा है और यह एक मिसाल है कि शाहिद हाफिज के नेतृत्व में चल रहा मदरसा दरूल उलूम क़ादरिया (विलेज सिरसगड़) इस मुहिम से जुड़ चुका है। यह मदरसा अब अपने छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ दुनियावी शिक्षा देने के लिए भी कदम बढ़ा रहा है।
नेहा परवीन जी के नेतृत्व में उन्होंने बताया कि जब उन्होंने शाहिद हाफिज से बात की कि उनके मदरसे के बच्चों को भी दुनियावी शिक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें समाज में बदलाव लाने के लिए तैयार करना चाहिए, तो वे बिना किसी झिझक के अपने मदरसे के सभी दस्तावेज़ लेकर सरकारी स्कूल गए।
वहां उन्होंने अपने मदरसे में दाखिल लगभग 45 बच्चों के प्रवेश के लिए बात की। चूंकि ये सभी बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं और धार्मिक शिक्षा प्राप्त करके वापस अपने घर चले जाते हैं, इसलिए इनके दस्तावेज़ पूरे करने में मुश्किल आई और स्कूल ने प्रवेश देने से मना कर दिया।
इन छोटे-छोटे बच्चों के सपनों को अब उड़ान के लिए पंख लग चुके थे। शाहिद हाफिज जी कहाँ रुकने वाले थे, उन्होंने नेहा परवीन जी से दुबारा बात की और मिलकर एक रास्ता निकाला। अब एक शिक्षक नियुक्त कर मदरसे में ही इन जरूरतमंद बच्चों को दुनियावी शिक्षा दी जाएगी।
जो मदरसा पहले सिर्फ धार्मिक शिक्षा देता था, अब बच्चों के भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित जैसे सभी विषय पढ़ाएगा। भले ही इनका दाखिला स्कूल में न हो, लेकिन इन्हें ओपन बोर्ड या प्राइवेट बोर्ड से परीक्षा दिलाकर समाज में सर्वाइव करने और विकास करने योग्य बनाया जाएगा।
शाहिद हाफिज जी कहते हैं कि यह पहली बार होगा कि कोई मदरसा ऐसा कदम उठाने जा रहा है जहाँ धार्मिक और दुनियावी शिक्षा को जोड़ा जाएगा। यह एक बदलाव की छोटी सी कोशिश है।
इसमें समाज के सभी लोगों और सहयोगियों की मदद की जरूरत होगी जो इन बच्चों के लिए आगे आएं और इस मुहिम से जुड़ें।