November 22, 2024
अम्बाला  (अनुसूचित जाति – एससी आरक्षित) लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के 11 दिनों बाद  कांग्रेसी सांसद  वरुण चौधरी  ने ज़िले के मुलाना विधानसभा हलके के विधायक पद से त्यागपत्र शनिवार 15 जून को विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को सौंप दिया  जिसे तत्काल रूप से  स्पीकर द्वारा  स्वीकार भी कर लिया गया.
अब विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन से मुलाना (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट को निवर्तमान विधायक  वरुण के त्यागपत्र स्वीकार होने की तारीख से रिक्त घोषित कर दिया जाएगा.
शहर से सेक्टर 7 निवासी पंजाब एवं हरियाणा  हाईकोर्ट में   एडवोकेट और राजनीतिक  विश्लेषक हेमंत कुमार ने  बताया कि चूंकि मौजूदा 14वीं  हरियाणा विधानसभा का सदस्य अर्थात  विधायक रहते हुए  वरूण ने अम्बाला  लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था  जिसमें जीतकर वह अम्बाला लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित‌ हुए, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 101 के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति अर्थात  केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए समसामयिक  सदस्यता प्रतिषेध नियम, 1950 के अंतर्गत वरूण को उनकी लोकसभा सांसद के तौर पर निर्वाचन‌ घोषणा प्रकाशित होने  के 14 दिनों के  भीतर अर्थात आगामी 20 जून से पहले पहले  हरियाणा विधानसभा की सदस्यता अर्थात मुलाना  विधायक पद से त्यागपत्र देना आवश्यक  था . अगर वह ऐसा नहीं करते, तो इससे उपरोक्त नियमों के अंतर्गत  अम्बाला लोकसभा सीट को रिक्त घोषित किया जा सकता था.
हेमंत ने बताया कि आज से  5 वर्ष पूर्व जब अम्बाला के नारायणगढ़ हलके से तत्कालीन भाजपा विधायक नायब सिंह सैनी ( जो गत तीन माह  से हरियाणा  के मुख्यमंत्री हैं )  जब कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से मई, 2019 में  सांसद निर्वाचित हुए थे, तब उन्होंने भी चुनाव जीतने  के 10 दिनों के बाद  नारायणगढ़ सीट से विधायक के तौर पर  त्यागपत्र दे दिया था.
बहरहाल,  चूंकि‌  हरियाणा विधानसभा के अगले आम चुनाव अगले तीन-चार महीनों बाद  सितम्बर- अक्तूबर, 2024 में निर्धारित हैं, इसलिए रिक्त   मुलाना विधानसभा सीट पर उपचुनाव  नहीं होगा.
 हेमंत ने आगे बताया कि अक्टूबर, 2019 से अम्बाला ज़िले के  मुलाना  विधानसभा हलके से कांग्रेस पार्टी के विधायक वरुण  वर्तमान 14 वीं हरियाणा‌ विधानसभा की सबसे महत्वपूर्ण समिति अर्थात  पब्लिक अकाऊंट कमेटी – पीएससी‌ ( लोक लेखा समिति) के चेयरमैन भी थे. वरुण के  विधायक पद से  त्यागपत्र देने के उपरान्त  विधानसभा स्पीकर द्वारा उक्त लोक लेखा समिति के नए चेयरमैन के तौर पर किसी और मौजूदा  विधायक को नामित किया जाएगा.
इसी बीच अब वरुण के लोकसभा सांसद बनने के बाद और मुलाना विधायक पद से त्यागपत्र देने के उपरान्त कांग्रेस पार्टी को मुलाना वि.स. हलके से जल्द ही पार्टी के किसी नए जिताऊ उम्मीदवार की भी खोज आरम्भ करनी होगी क्योंकि अगले तीन-चार माह में  हरियाणा विधानसभा आम चुनाव  निर्धारित हैं.
इस बार की सम्भावना बिलकुल न के बराबर है कि चूँकि केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन (इंडिया अलायन्स) की सरकार नहीं बनी, इसलिए वरुण लोकसभा सांसद रहते हुए मुलाना से अगला विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं क्योंकि अगर ऐसा होता है और अगर वरुण मुलाना वि.स. जीत कर दूसरी बार विधायक भी बन जाते हैं, तो उन्हें वर्तमान 18वीं.
लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र लेना  होगा और कांग्रेस पार्टी अम्बाला सीट पर कभी उपचुनाव नहीं चाहेगी चूँकि पहले ही 15 वर्षो के लम्बे इंतज़ार के बाद कांग्रेस पार्टी ने अम्बाला लोकसभा सीट जीती है. इससे पूर्व मई, 2009 में कांग्रेस की कुमारी सैलजा  अम्बाला लोकसभा सीट से दिवंगत रतन लाल कटारिया को पराजित कर यहाँ से दूसरी बाद सांसद बनी थी.

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