आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बाढ़ के रोकने के इंतजामों को लेकर हरियाणा सरकार को घेरा। उनके साथ संगठन मंत्री अश्विनी दुल्हेड़ा, जिला अध्यक्ष बिजेंद्र हुड्डा, राजेंद्र शर्मा, रविंद्र मटरू, रणदीप राणा, कविता शर्मा और शिव मोहन गुप्ता भी मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में पिछले साल बाढ़ आई, जिसमें हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई और मकान डूब गए। जिसमे जान और माल दोनों का नुकसान हुआ। लेकिन इतनी भीषण बाढ़ से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। जहां बाढ़ का कहर बरपा वहां आज भी तटबंध कमजोर हैं और सायफन में घास-फूंस से अटे पड़े हैं। बीजेपी सरकार ने बाढ़ से तबाही रोकने के लिए योजना तो बनाई परंतु कुछ काम नहीं किया।
उन्होंने कहा कि 29 जून से मानसून आ जाएगा, परन्तु अभी तक कोई तैयारी नहीं है। प्रदेश में पिछले साल जुलाई में यमुना, घग्गर, मारकंडा और सरस्वती नदी ने कहर बरपाया था। हजारों एकड़ फसल तबाह हुई थी। पशुओं का नुकसान भी लोगों को झेलना पड़ा। इस भीषण बाढ़ को एक साल बीतने को है, लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जिस हालत में नदियों व नहरों के तटबंध थे, अब भी जस के तस हैं।
उन्होंने कहा कि जब मैंने कुरुक्षेत्र लोकसभा का चुनाव लड़ा, इस दौरान मैं हर गांव में गया। ग्रामीणों का कहना था कि बीजेपी सरकार सिर्फ वादे करती है, लेकिन धरातल पर काम नहीं करती।
लोगों का कहना है कि यदि पानी से होने वाली तबाही रोकने के लिए कुछ किया जाता तो लोगों को ये आर्थिक नुकसान नहीं झेलना पड़ता। पानीपत में किसानों ने बताया कि यूपी सरकार हर बार स्टड़ों की मरम्मत करती है, इसलिए यूपी की तरफ यमुना का कटाव बहुत कम होता है, लेकिन हरियाणा में हर बार प्रबंध अच्छे नहीं होते।
उन्होंने कहा कैथल के ग्रामीणों का कहना था कि बाढ़ के बाद से किसी अधिकारी ने घग्गर पर आकर तक नहीं देखा। अब जब मानसून सिर पर है तो अधिकारी नदी पर घूम रहे हैं। सरकार की इस लापरवाही के कारण सोनीपत, अम्बाला, कैथल, यमुनानगर व फतेहाबाद में किसान इस बार भी बाढ़ के खतरे की चपेट में आ सकते हैं। सोनीपत में यमुना नदी का क्षेत्र सोनीपत जिले में करीब 41.74 किलोमीटर है।
कई गांवों के खेतों में भी बड़े स्तर भूमि कटाव पिछले साल हुआ था। सरकार ने बांध या बड़े कटाव की जगह अभी कोई व्यवस्था नहीं की है। पिछली बार भी सिंचाई विभाग ने स्टड के निर्माण में कोताही बरती थी।
कायदा से तो इतने वर्ष बीत जाने के बाद सारी ठोकरें पत्थर की बन जानी चाहिए थी। क्योंकि जहां पत्थर की ठोकर हैं, वहां कटाव नहीं होता है। बढ़ौली गांव में ही 70 एकड़ से अधिक जमीन में कटाव हुआ था। लेकिन उस गांव में अभी तक धरातल पर कुछ काम नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि कैथल में घग्गर ने पिछले वर्ष गुहला चीका एरिया में तबाही मचाई थी। मिट्टी से साइफन अवरुद्ध हो गए थे। यदि नदी में ज्यों ही पानी की मात्रा बढ़ेगी, सायफन जवाब दे जाएगा।
वहीं फतेहाबाद में घग्गर नदी के ओवरफ्लो होने से पिछले साल जुलाई में जाखल, रतिया व फतेहाबाद इलाके में आई भीषण बाढ़ से प्रशासन ने 1 साल बाद भी सबक नहीं लिया। जिले में 13 ड्रेनों की सफाई का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। जबकि मात्र 15 दिन मानसून के बचे हैं।