हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री तथा अम्बाला छावनी विधायक अनिल विज ने कहा कि आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी का बलिदान दिवस है।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी आज भी ऐसा नाम है जो हम सभी को प्रेरणा देता है। यह नाम बताते हैं कि आजादी हमें यूं ही नहीं बल्कि बहुत कुर्बानी देकर मिली है और हमें इस देश को संभाल एवं संवार कर रखना चाहिए तथा इसे मजबूत बनाना चाहिए।
श्री विज आज शहीदी दिवस के अवसर पर अम्बाला छावनी के लघु सचिवालय में शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज के दिन जालिम अंग्रेज हकुमत जोकि इतना डरती थी कि निर्धारित समय से भी पहले उन्होंने भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को फांसी दे दी। इनकी शहादत से सारे हिंदुस्तान में इंकलाब, भारत माता की जय के नारों की सुनामी आ गई। घरों में युवाओं व समस्त हिंदुस्तानियों की रगों में रक्त दौड़ने लगा और इसी से डरकर 15 अगस्त 1947 में अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए।
इससे पहले पूर्व मंत्री अनिल विज ने भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाए। इस दौरान भारी संख्या के मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
इस अवसर पर भाजपा नेता राजीव गुप्ता डिम्पल, विजेंद्र चौहान, किरणपाल चौहान के अलावा संजीव सोनी, बीएस बिंद्रा, श्याम सुंदर अरोड़ा, फकीरचंद सैनी, नरेंद्र राणा, राम बाबू यादव, ललित चौधरी, रवि सहगल, जसबीर जस्सी, अजय बवेजा, सतपाल ढल सहित भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।
पहले विदुर नीति आई, फिर चाणक्य नीति और अब केजरी नीति जो कहती है कि जेल में बैठकर कैबिनेट मीटिंग करो व सरकार चलाओं : पूर्व मंत्री अनिल विज
वहीं मौके पर पत्रकारों द्वारा केजरीवाल के बयान कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं पर पूर्व मंत्री अनिल विज ने तंज कसते हुए प्रतिक्रिया दी और कहा कि पहले विदुर नीति होती थी, फिर चाणक्य नीति आई और अब केजरी नीति आई है। केजरी नीति यह कहती है कि इनके नेता ऐसे काम करें कि यह जेल में चले जाएं और जेल में जाकर अंदर से सरकार चलाई जाएगी। केजरीवाल जी ने जेल से सरकार चलाने की नई नीति को ईजाद किया है और अच्छा है कि अब जेल में इनका कोरम पूरा हो गया है और वो वहीं कैबिनेट मीटिंग किया करेंगे, वहां पर शांत चित एकाग्र होकर वह अपनी बैठकें करें।