माननीय सर्वोच्च न्यायालय के चुनावी बोंड को लेकर 6 मार्च 2024 तक चुनावी चंदे से संबंधित संपूर्ण जानकारी सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग को सौंपने के फैसले के बावजूद SBI द्वारा माननीय सर्वोच्च नयायालय के समक्ष आवेदन देकर 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मैनीफैस्टो सदस्य पूर्व कोषाध्यक्ष अधिवक्ता रोहित जैन ने एसबीआई का बीजेपी से गठबंधन बताया।
जैन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार द्वारा SBI पर दबाव डाला गया और अब यह यह दोनो मिलकर चुनावी बॉन्ड की जानकारी छुपाऐंगे। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के बीजेपी की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुये इसे रद्द करने का फैसला दिया था जिसका पूरे देश ने स्वागत करते हुए कहा था कि यह बीजीपी की सोची समझी साजिश थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नाकाम कर दिया है।
इस फैसले को चुनाव में काले धन के उपयोग और सत्ता में पूंजीपतियों की गैर कानूनी हिस्सेदारी के खिलाफ सबसे बड़ा कदम माना जा रहा था। लेकिन सत्ताधारी बीजेपी, जो कि चुनावी बॉन्ड योजना की इकलौती सबसे बड़ी लाभार्थी है, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से बेचैन थी। बीजेपी को डर था कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही बीजेपी की बेईमानी का सारा भंडाफोड़ हो जायेगा।
चंदा कौन दे रहा था, उसके बदले उसको क्या मिला, उनके फ़ायदे के लिए कौन से क़ानून बनाये गये, क्या चंदा देने वालों के ख़िलाफ़ जाँच बंद की गयीं, क्या चंदा लेने के लिए जाँच की धमकी दी गयीं, यह सब पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी और मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक पर जानकारी साझा नहीं करने का दबाव बनाया और कल स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन देकर जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक का समय माँग लिया।
जैन ने इस पर प्रशन चिन्ह उठाते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत बैंक को इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 माह का समय क्यों चाहिए? जबकि संपूर्ण जानकारी एक क्लिक से 5 मिनट में निकाली जा सकती है। उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिये और समय की माँग जानकारी देने की अंतिम तिथि के एक दिन पहले ही क्यों की?
उन्होंने कहा कि 48 करोड़ अकाउंट, 66 हज़ार एटीएम और 23 हज़ार ब्रांच संचालित करने वाली SBI को केवल कुछ हज़ार इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 महीने का समय चाहिए ? सवाल उठता है कि क्या देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भी अब बीजेपी सरकार की आर्थिक अनियमितता और कालेधन के स्रोत को छिपाने का ज़रिया बन रहा है।