भारत चुनाव आयोग द्वारा चुनाव-संबंधी गतिविधियों में बच्चों के उपयोग के संबंध में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। आदेशों के अनुसार राजनीतिक दलों व उम्मीदवार किसी भी रूप में चुनाव अभियानों में बच्चों का उपयोग न करें, इनमें पोस्टर/पैम्फलेट का वितरण या नारेबाजी, अभियान रैलियों, चुनाव बैठकों आदि में भाग न लेना शामिल है।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार के चुनाव अभियान में शामिल न करें, जिसमें रैलियां, नारे लगाना, पोस्टर या पैम्फलेट का वितरण, या कोई अन्य चुनाव-संबंधी गतिविधि शामिल है।
राजनीतिक नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों के लिए बच्चों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जैसे बच्चे को गोद में लेना, वाहन में या बच्चे को ले जाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि रैलियों में राजनीतिक अभियान का दिखावा करने के लिए जैसे कविता, गीत, बोले गए शब्दों के माध्यम से उपयोग, राजनीतिक दल/उम्मीदवार के प्रतीक चिन्ह का प्रदर्शन, राजनीतिक दल की विचारधारा का प्रदर्शन, किसी की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए बच्चों का उपयोग निषेध है।
इसके साथ ही राजनीतिक दल या प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों की आलोचना करना भी निषेध है। हालांकि, किसी राजनीतिक नेता के निकट अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की उपस्थिति और जो राजनीतिक दल द्वारा चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है, को दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
उन्होंने बताया कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन अधिनियम,1986, बाल श्रम (निषेध और विनियमन अधिनियम, 1986) द्वारा संशोधित) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि आयोग ने स्पष्ट रूप से सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को चुनाव संबंधी कार्य गतिविधियों के दौरान किसी भी क्षमता में बच्चों को शामिल करने से परहेज करने का निर्देश दिया है।
बाल श्रम से संबंधित सभी प्रासंगिक अधिनियमों और कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाएंगे। अधिकार क्षेत्र के तहत चुनाव मशीनरी द्वारा इन प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के परिणामस्वरूप गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।