November 24, 2024
supremecourt

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध करार दिया। साथ ही इसके जरिए चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी।

कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

5 जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘पॉलिटिकल प्रॉसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं। पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी, वह प्रक्रिया है, जिससे मतदाता को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है।

वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।’

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसे लेकर चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कांग्रेस नेता जया ठाकुर और CPM शामिल है।

केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी की थी।

2 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखने के ठीक 4 दिन बाद 6 नवंबर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी 29 ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू किए थे।

6 नवंबर से 20 नवंबर तक इश्यू किए गए बॉन्ड्स में 1000 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *