गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि गीता का ज्ञान प्राणी मात्र के सुखी जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है और विशेषकर विद्यार्थियों के लिए गीता ज्ञान बहुत उपयोगी है। विद्यार्थियों को नियमित रूप से गीता पढऩी चाहिए और इसकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज मंगलवार को राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा गीता पर आधारित राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया तो जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने आभार प्रकट किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि विद्यार्थीकाल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी।
आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी। गीता में भगवान ने मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का सर्वमान्य समाधान दिया है, इसलिये विद्यार्थियों को नियमित रूप से गीता का अध्ययन व मनन करना चाहिए। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने गीता के श्लोकों का, न केवल शुद्ध रूप में उच्चारण किया बल्कि लयबद्ध तरीके से गाया।
संस्कृत के विद्वानों की तरह बच्चों ने बेहतर ढंग से गीता के चुनिंदा श्लोकों का पाठ किया।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार विद्यार्थी गीता पर आधारित स्पर्धाओं में उत्साह पूर्वक ढंग से भाग ले रहे हैं वह अपने आप में बहुत सुखद है विद्यार्थियों ने गीता के श्लोकों का जिस प्रकार उच्चारण किया है वह प्रशंसनीय है।
उन्होंने बताया कि राज्यस्तरीय स्पर्धाओं के अंतर्गत 19 दिसंबर को कक्षा 6 से 8 वर्ग की गीता श्लोकोचारन, संवाद, गीता निबंध लेखन, भाषण (घोषणा) व पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई जबकि कक्षा 9 से 12 वर्ग की सभी प्रतियोगिताएं 20 दिसंबर को आयोजित की जाएंगी और 21 दिसंबर को विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए जाएंगे।