November 22, 2024

ब्रह्मसरोवर के पावन तटों पर भारतीय संस्कृति की महक को दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है। इस संस्कृति की महक का एहसास करने के बाद एकाएक देश-विदेश के लोग अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की ओर खिंचे चले आ रहे है। इस महोत्सव में जहां शिल्पकार अपनी शिल्पकला से पर्यटकों को मोहित कर रहे है, वहीं विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार पर्यटकों का खुब मनोरंजन कर रहे है।

अहम पहलू यह है कि ब्रह्मसरोवर की सदरियों में लगे स्टॉलों में भारतीय संस्कृति को दर्शन करवाती अदभुत शिल्पकला से भारतीय संस्कृति की महक चारों तरफ फैल चुकी है और यहां पर आने वाले पर्यटक इसका जमकर आनंद उठा रहे है।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव शिल्प और सरस मेले के 8वें दिन सुबह और शाम के समय दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों का विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार मनोरंजन करने का काम कर रहे है। उत्तरी तट पर जहां राजस्थानी लोक कलाकार कच्ची घोड़ी नृत्य की प्रस्तुती देकर पर्यटकों को नृत्य करने के लिए उत्साहित कर रहे है, वहीं उत्तर पश्चिमी तट पर बीन-बांसुरी की धुन पर लोक कलाकार भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है।

इस पावन तट के चारों तरफ किसी न किसी प्रदेश के कलाकर, बाजीगर, बहरुपिए भी पर्यटकों को लुभा रहे थे। वीरवार को इस शिल्प मेले की रौनक को बढ़ाने का काम विभिन्न राज्यों से आए पर्यटकों व विद्यार्थियों ने किया।

आसमान में खिली धूप ने महोत्सव के माहौल को और भी मनमोहक कर दिया, महोत्सव में आए विद्यार्थियों व पर्यटकों ने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठाया। बच्चों, जवान और बुजुर्गों ने महोत्सव में जमकर खरीददारी की और विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान मदमस्त होकर नृत्य किया।

उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि प्रशासन की तरफ से महोत्सव में पर्यटकों, शिल्पकारों, कलाकारों के लिए अच्छे प्रबंध किए गए है और यह सरस और शिल्प मेला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। महोत्सव में 17 दिसंबर से शुरु होने वाले मुख्य कार्यक्रमों के लिए केडीबी और प्रशासन द्वारा सभी तैयारियों पूरी की जा रही है ताकि महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को महोत्सव के दौरान सुखद अनुभूति मिले और वह यहां से अच्छी यादें अपने साथ लेकर वापिस जाएं।

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