November 22, 2024

धार्मिक ग्रंथों में गंभीर से गंभीर शारीरिक व मानसिक रोगों का समाधान उपलब्ध है, गुरुओं द्वारा दर्शाई गई इन ज्ञान विधियों को अपनाकर लोगों का इलाज़ करने के लिए स्वामी राजेश्वरानंद द्वारा इस योगपीठ की नींव आज अंबाला में आयोजित एक भव्य समारोह दौरान रखी गई।

अध्यात्म, प्रकृति व विज्ञान के अनूठे संगम राजेश्वरानंद योगपीठ के भूमि पूजन कार्यक्रम में लगभग 200 के करीब सनातनी, सिख तथा जैन संतों के अलावा राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने शिरकत की।

इस मौके स्वामी राजेश्वरानंद ने अपने संबोधन में कहा कि मानवता की सेवा के लिए बनाए जा रहे इस योगपीठ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति की मूल परंपराओं का संपूर्ण विश्व में प्रसार करने के साथ-साथ आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, योग व पर्यावरण संरक्षण द्वारा रोगों का संपूर्ण उपचार करना है।

उन्होंने आगे बताया कि विश्व का यह पहला योगपीठ होगा जहां श्रीमद् भागवत गीता व श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज में वर्णित शारीरिक व मानसिक रोगों का निवारण ज्ञान विश्व में प्रसारित किया जाएगा।

इस मौके मुख्य संतों के प्रवचनों से पूरा पंडाल मंगलमय हो गया। संतों ने अपने व्यक्तव में स्वामी राजेश्वरानंद द्वारा मानवता की सेवा के लिए बनाए जा रहे राजेश्वरानंद योगपीठ की सफलता के लिए आशीर्वाद दिया तथा कहा की अंबाला की धरती में इस योगपीठ का बनना अंबाला वासियों के लिए सीधा साधुवाद है।

उन्होंने कहा कि आज है खेतों के बीचों बीच एक जंगल नुमा जगह है परंतु आने वाले समय में यह संतों की नगरी के रूप में उजागर होगी व यह अंबाला वासियों को सीधा साधुवाद से जोड़ेगी।

इस मौके सनातनी संतों में श्री ज्ञान देव जी महाराज उदासी ब्रह्मा अखाड़ा हरिद्वार, गौ सेवा मिशन के परमाध्यक्ष परम पूज्य स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी संपूर्णानंद महाराज, गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज, स्वामी श्री श्री 1008 कालिदास जी महाराज, श्री सुमेर सिंह जी महाराज महंत कबीर चौरा मठ मूलगादी काशी कबीरपंथी, महंत नारायण गिरी जी महाराज जूना अखाड़ा गाजियाबाद, स्वामी अमित देव जी दिल्ली वाले, स्वामी डॉक्टर वागिश स्वरूप जी महाराज उत्तर प्रदेश काशी |

 

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