अम्बाला जिले में गत वर्ष की तुलना इस वर्ष पराली जलाने के मामले में एकाएक गिरावट दर्ज की गई है। कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे पराली के प्रति सजगता अभियान की सफलता के परिणाम देखने को मिल रहे है।
अम्बाला स्थित जिला कृषि उप निदेशक डॉ जसविंद्र सिंह ने गुरुवार को अपने कार्यालय में एक प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देते हुये बताया कि इस वर्ष 13 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि किसान वर्ग पराली प्रबंधन को अपनाने लगे हैं।
इस वर्ष सितंबर से नवंबर के अंत की अवधि में 195 मामले दर्ज हुये हैं जबकि गत वर्ष इस मामलों की 225 गिनती थी। उल्लंघना करने वाले किसानों से कृषि विभाग ने आड़े हाथों कार्यवाही करते हुये इस सीजन लगभग पौने तीन लाख रुपये को जुर्माना वसूला है।
उन्होंनें बताया कि जहां एक सरकार ने पराली जलाने को गैर कानूनी करार दिया है वहीं दूसरी ओर इस प्रोजेक्ट में भागीदारी डिलोएट इंडिया के साथ मिलकर कृषि विभाग के जागरुकता अभियान के प्रयास रंग लाये हैं। इस प्रयास में किसान न केवल आर्थिक रुप से सशक्त हुये बल्कि पर्यावरण के साथ साथ लोगों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहता है।
उन्होंनें बताया कि जमीनी स्तर पर काम कर रही कृषि विभाग के सहयोग पार्टनर की टीम ने अपने प्रयासों के तहत किसानों को जागरुक करने का प्रयास किया कि पराली जलाने से न केवल भूमि का उपजाऊपन खत्म हो जाता है बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लोगों की सेहत को भी हानि पहुंचती है।
खरीफ की फसल कटाई के दौरान अपनी अगली फसल को उगाने के लिये किसान कई लोजेस्टिकल समस्याओं का सामना करते हैं। औसतन किसान खेत के अवशेषों को जलाने में सरल तरीका ढूढ़ते है जिससे की हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) के रुप में उभरे हैं।
कृषि विभाग ने डिलोएट इंडिया के साथ पराली प्रबंधन के अंतर्गत गांव गांव घर घर जाकर जनजागरण अभियान चलाया जिसका पूरा श्रेय विन्नी मित्रा, सागर कम्बोज, साहिल जिंदल और हरमोनजोत सिंह और उनकी टीम के अथक प्रयासों को जाता है। रेडियो के माध्यम से लेकर स्कूली बच्चों के सहयोग से जागरुकता अभियान को मजबूती दी गई।
डिलोएट इंडिया ने किसानों को बेलर्स और सुपरसीडर्स समय पर उपलब्ध करवा उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया। विशेष रुप से विकसित की गई किसान और उद्योग मैत्री एप्प से दोनों वर्ग को सहुलियत प्रदान की गई। विभाग और डोलेएट ने एक सहज प्लेटफार्म प्रदान करवा कर किसानों को पराली की बिक्री कर आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है।
उन्होंनें बताया कि इस प्रोजेक्ट में एक चुनौती जो उन्हें देखने को मिली, जिले में बड़े स्तर के उद्योगों की कमी जहां पराली को ईधन के रुप में इस्तेमाल में लाया जा सके। बावजूद इसके डिलोएट इंडिया ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुये जिले और प्रदेश के बाहर अनेकों उद्योगों को चिन्हित कर एक नैटवर्क विकसित किया जहां किसानों को उचित दाम मिल सके।
पराली से उत्पन्न उर्जा ईंटें, न्यूजप्रिंट यहां तक की सीएनजी बनाने के उपयोग में लाई जा रही है। यह प्रयास किसानों को आर्थिक मजबूती देने के साथ साथ उर्जा का एक ओर स्त्रोत उत्पन्न करने में कारगर साबित हो रहा है।