हरियाणा की नूंह हिंसा पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) की जांच पूरी हो गई है। जांच में हिंसा को संगठित अपराध नहीं बताया गया है।
साथ ही लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई विफलता नहीं बताई गई है, लेकिन कुछ कमियां रह जाने के लिए जरूर जिम्मेदार ठहराया है।
हिंसा फैलाने में स्थानीय लोगों के शामिल नहीं होने की बात कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा फैलाने के लिए उपद्रवी बाहर से आए थे।
हां ये जरूर है कि कुछ युवा सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाए गए झूठे प्रचार के कारण उत्तेजना का शिकार हो गए। जिस पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है।
आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों समुदायों के लोगों के साथ-साथ प्रशासन के अधिकारियों से भी बात का उल्लेख किया है।
बातचीत में लोगों का कहना है कि हिंसा करने वाले लोग बाहरी लोग थे, जबकि स्थानीय मुसलमानों ने मंदिरों की रक्षा की और हिंदुओं ने मस्जिदों की रक्षा की है।
हिंसा के दौरान ऐसा सौहार्द भी हरियाणा के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में देखने को मिला है
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में हिंसा को निराशाजनक घटना बताया है। हिंसा के दौरान सोशल मीडिया का जमकर दुरुपयोग किया गया है, जिससे पूरा माहौल ही बिगड़ गया था।
NCM ने हिंसा के दौरान हुई घटनाओं की एक्टिव रूप से निगरानी की गई।
नूंह और गुरुग्राम का दौरा करने से लेकर पीड़ितों से मिलने और विस्तृत रिपोर्ट मांगने तक आयोग ने सभी पहलुओं पर जांच की है।
आयोग की ओर से इस संबंध में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए अपील भी की गई है।