गत साढ़े चार माह से हरियाणा में रिक्त अंबाला (अनुसूचित जाति- एससी आरक्षित) लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा. मंगलवार 3 अक्तूबर को हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल, आईएएस द्वारा एक प्रेसवार्ता में ऐसा बयान दिया गया. इसका अर्थ है कि अगले वर्ष अप्रैल- मई 2024 में निर्धारित 18 वीं लोकसभा आम चुनावों के दौरान ही अंबाला लो.स. सीट पर नियमित चुनाव करवाया जाएगा.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने सीईओ, हरियाणा द्वारा दिए गए उक्त बयान पर अत्यंत आश्चर्य जताते हुए बताया कि दशकों से ऐसी परंपरा चली आ रही है कि चाहे लोकसभा/राज्यसभा या विधानसभा/ विधानपरिषद के आम चुनाव कराने का विषय हो या उनकी रिक्त सीटों पर उपचुनाव का मामला, इस संबंध में अर्थात आम चुनाव/उपचुनाव कब करवाए जाने हैं अथवा नहीं, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक घोषणा की जाती है, न कि संबंधित राज्य के सीईओ द्वारा. इस प्रकार रिक्त अंबाला लोस सीट पर उपचुनाव नहीं करवाए जाने भी चुनाव आयोग द्वारा घोषणा की जानी चाहिए.
हेमंत ने बताया कि उन्होंने बीते जुलाई माह में एक आरटीआई दायर कर अंबाला सहित मौजूदा 4 रिक्त लोकसभा सीटों ( जिसमें अंबाला के अलावा महाराष्ट्र में रिक्त दो लोस सीटें – पुणे और चंद्रपुर और उत्तर प्रदेश में रिक्त गाजीपुर सीट भी शामिल हैं) पर उपचुनाव कराने में हो रहे विलंब से संबंधित संपूर्ण जानकारी मांगी थी जिस पर गत 17 अगस्त को आयोग के सचिव संजीव कुमार प्रसाद द्वारा दिए जवाब में लोक प्रतिनिधित्व कानून ( आरपी एक्ट),1951 की धारा 151 ए का हवाला देकर बताया गया कि लोकसभा सीट रिक्त होने के 6 महीने के भीतर उस सीट पर उपचुनाव कराने की समय सीमा होती है. हालांकि चुनाव आयोग केंद्र सरकार से परामर्श के पश्चात प्रमाणित कर सकता है कि उपरोक्त 6 माह की अवधि में उपचुनाव करवाना संभव नहीं है.
चुनाव आयोग उपचुनाव का संपूर्ण कार्यक्रम अर्थात मतदान और मतगणना की तारीखें फाईनल करने से पूर्व कई विषयों जैसे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति, स्कूल/ कालेज की परीक्षाएं, पर्व/ त्यौहार आदि, स्थानीय मौसम की परिस्थितियों, नेगोशिएबल इंस्टरूमेंटस एक्ट, 1881 के अंतर्गत घोषित अवकाश ( बैंक होलीडे), केंद्रीय सुरक्षा बलों और ईवीएम/वीवीपपैट की उपलब्धता आदि पर गंभीरता से विचार करता है.