सहायक कृषि अभियन्ता यमुनानगर डॉ. विनित कुमार जैन ने बताया कि भारत सरकार द्वारा फसल अवशेष के एक्स-सीटू प्रबंधन की महत्ता को ध्यान में रखते हुए फसल अवशेष प्रबंधन योजना 2023-24 के अंतर्गत धान की पराली खरीदकर उपयोग करने वाले उद्योगों को फसल अवशेषों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फसल अवशेष एवं पराली आपूर्ति श्रृंखला योजना लागू की जा रही है।
योजना के अन्तर्गत ऐसे उद्यमी अपने उद्योग में पराली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में कृषि यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत आवेदनकर्ता उद्यमी तथा किसान, किसान समूह, ग्रामीण उद्यमी, किसानों की सहकारी समिति, एफ .पी.ओ. व पंचायत के मध्य अनुबंध किया जायेगा। जिसमें उद्यमी द्वारा किसान के खेतों से पराली, फसल अवशेष की गांठे एकत्रित करके उद्योग में प्रयोग हेतु खरीदी जाएगी।
उन्होंने बताया कि एक सीजन में न्यूनतम 3000 मीट्रिक टन फसल अवशेष सप्लाई के लिए 1 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए परियोजना तैयार करनी होगी। इसी प्रकार न्यूनतम 4500 मीट्रिक टन फसल अवशेष सप्लाई के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए परियोजना तैयार करनी होगी। परियोजना के कुल लागत खर्च का 65 प्रतिशत खर्च सरकार द्वारा 25 प्रतिशत उद्योग द्वारा व 10 प्रतिशत मशीनरी चलाने वाले किसानों की सहकारी समिति एवं एफ.पी.ओ. द्वारा वहन किया जायेगा।
फसल अवशेष खरीदने के इच्छुक प्रमुख उद्योग विभागीय पोर्टल डब्ल्यूडब्लयूडब्लयूडॉटएग्रीहरि