किसान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें और रासायनिक खादों का फसलों में कम से कम उपयोग करें। उन्होंने जिले के किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसान इस योजना का लाभ अवश्य उठाएं ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को खेती के लिए एक स्वच्छ व स्वस्थ उपजाऊ भूमि दे सकें।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किसानों के हित के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। सरकार द्वारा खेती में जोखिमों को कम करने व खेती को बेहतर बनाने के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार की अनुदान योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने योजनाओं का विस्तार करते हुए अब स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाले ऐसे किसान, जिसके पास दो से पांच एकड़ भूमि है, को देसी गाय की खरीद पर अधिकतम 25 हजार रुपए का अनुदान देने की योजना है। इन्हीं योजनाओं में से एक प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी बनाई गई है।
इस योजना का लाभ लेने वाले किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम नि:शुल्क दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 50 हजार एकड़ में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए कृषि विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि बाजार में बढ़ रही मांग के मद्देनजर किसानों द्वारा अधिक उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप कार्बनिक कार्बन में जबरदस्त कमी आई है।
मिट्टी तथा फसल उपज में हानिकारक रसायनों में वृद्धि हुई है। इन हानिकारक रसायनों के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे कि किसानों की आमदनी को दोगुना तथा खेती को जहर मुक्त बनाया जा सके।