स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो जुलाई से नवंबर तक डेंगू का सीजन होता है। इस दौरान मच्छरों के पनपने की ज्यादा संभावना होती है। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। अक्सर देखा गया है कि लोग घरों में लगाए गए गमले अथवा अन्य सामान में रखे हुए पानी को नहीं बदलते हैं।
कूलर को भी सुखाकर साफ नहीं किया जाता है जिसके कारण डेंगू मच्छर का लारवा तेजी से पनपता है। यह भी देखा गया है कि मच्छरों का लारवा एसी के पानी निकासी पाइप के पास होता है जिसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता। वहीं, पेयजल किल्लत काे देखते हुए कुछ लोगों द्वारा पानी की हौद बनाकर पानी स्टोर किया जाता है जिसमें भी मच्छरों का लारवा पनपता है जिसे रोकना बेहद जरूरी है।
डिप्टी सिविल सर्जन एवं नोडल अधिकारी डॉ जय प्रकाश की मानें तो सप्ताह में एक बार पानी काे सुखाकर दोबारा भरना चाहिए। जिन स्थानों पर पानी निकालकर सुखाना संभव न हो वहां पानी में तेल डाल दिया जाए ताकि मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। इस सीजन में अब तक 109 संक्रमित मरीज सामने आए है।
घरों में मच्छरों का लारवा पनपने से रोकने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीमों ने मिलकर 9 हजार लोगों को नोटिस जारी करके मच्छरों का लारवा न पनपने की हिदायत भी दी है।
अधिकारियों की मानें तो मानसून के मौसम में जमा हुए पानी में गंबूजिया मछली भी छोड़ी गई हैं जोकि इस पानी में पनपने वाले मच्छरों के लारवा को खा जाती है। इससे भी डेंगू की रोकथाम के लिए सहायता मिली है।
वहीं, यह बात भी सामने आई है कि बुखार होने पर लोग डॉक्टर से दवा लेने की बजाय कैमिस्ट से बुखार की गोली लेकर खा लेते हैं जबकि उनमें डेंगू के लक्षण होते हैं। ऐसे में यह लारपवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर की परामर्श के बिना कोई भी दवा नहीं ली जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू मरीजों के लिए सिविल अस्पताल सहित पीएचसी व सीएचसी स्तर पर विशेष व्यवस्था की हुई है।