माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल की शिष्या अस्मिता ने अपने दूसरे प्रयास में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। माउंट एवरेस्ट फतह कर अपनी ससुराल लौटी अस्मिता का घर पर जोरदार स्वागत किया गया।
अस्मिता का जन्म भले ही नेपाल में हुआ है लेकिन उसका पालन पोषण भारत में हुआ है और शादी झज्जर के वरूण शर्मा के साथ हुई है।
झज्जर की पूर्व डिप्टी सीएमओ डॉ कुमुद शर्मा की बहू अस्मिता को ससुराल से पूरी मदद मिली है। ननद डॉ तरूणा शर्मा का कहना है कि बेटे और बेटी की तरह बहू के सपनों को भी पूरा करना चाहिए तभी महिला सशक्तिकरण का सपना पूरी तरह से साकार होगा और ये उनके परिवार ने साबित किया है। डॉ कुमुद शर्मा भी अपनी बहू की सफलता से बेहद खुश है।
अस्मिता दौरजी का सपना बिना ऑक्सिजन के माउंट एवरेस्ट को फतेह करना था। साल 2022 के पहले प्रयास में 8163 मीटर उंची माउंट मनासलू तक अस्मिता बिना ऑक्सिजन चढ़ने वाली भारत की दूसरी महिला बन चुकी है।
अपने दूसरे प्रयास में भी 8000 मीटर तक बिना ऑक्सिजन के चढ़ने में सफल हो गई थी लेकिन उसके बाद स्वास्थ्य कारणों से उसे ऑक्सिजन की सहायता लेनी पड़ी। अस्मिता ने बताया कि माईनस 30 से माईनस 40 डिग्री पर खाना बनाना भी मुश्किल होता था। लेकिन जब टारगेट पूरा कर लिया तो उस जीत की खुशी को शब्दों में बताना मुश्किल है।
अस्मिता के पिता अंग दौरजी भारत की पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल के शेरपा थे और वो बिना ऑक्सिजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं। अस्मिता का कहना है कि पर्वतारोहण बेहद मुश्किल खेल है।
इसलिए सरकार को पर्वतारोहियों को भी नौकरी और आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने युवाओं को अपनी नशे से दूर रहकर सही दिशा में अपनी उर्जा का इस्तेमाल करने की अपील की है ताकि उनका भविष्य अच्छा हो और परिवार को भी उन पर गर्व हो।