November 22, 2024

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि कांग्रेस ने अपने सिवा दूसरों को कभी आजादी का श्रेय नहीं दिया, यह आज तक यहीं कहते हैं “ले दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल“।

श्री विज ने कहा कि साबरमती के संत ने कमाल कर दिया है और वह उनको प्रणाम करते है। मगर, “बिना खड्ग बिना ढाल” कहकर जिन्होंने अपनी कुर्बानियां दी हम उनका अपमान कर रहे हैं।

गृह मंत्री अनिल विज ने आज अम्बाला छावनी के नेता जी सुभाष चंद्र बोस पार्क में नेता जी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाते हुए सैकड़ों कार्यकर्ताओं सहित उनकी 12 फुट ऊंची प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें सैल्यूट किया।

इसके उपरांत पत्रकारों से बातचीत के दौरान गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि 26 हजार सैनिक आजाद हिंद फौज के शहीद हुए जो हिंदुस्तान के अंडेमान निकोबार पर कब्जे के दौरान शहीद हुए। जब हम “बिना खड्ग बिना ढाल” कह देते हैं तो हम भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव के बलिदान का भी अपमान करते हैं।

इस आजादी में जो अनसंग हीरोज है जिनको कभी याद नहीं किया गया, अब नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद पहली बार देश में इनको याद किया जा रहा है। पिछले साल नेता जी की जयंती पर नरेंद्र मोदी जी ने स्वयं लाल किले पर तिरंगा फहराया। नेता जी पहले महापुरूष है जिन्होंने सबसे पहले 1943 में देश की आजाद सरकार बनाकर स्टैंप व करंसी जारी कर अंडेमान निकोबार में तिरंगा फहराया।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आज सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती है और सन 2000 से हम नियमित रूप से जयंती को मना रहे है। जहां हम खड़े हैं यह शहर का सबसे गंदा स्थान था और सारे शहर का कूड़ा कर्कट यहां पर गिरता था।

अम्बाला छावनी के मजबूत भू-माफिया ने इस जमीन को अपने नाम करा लिया था, मगर हमने लंबी लड़ाई लड़कर इस स्थान को मुक्त कराया और यहां पर नेता जी के नाम से नेता जी सुभाष चंद्र बोस पार्क बनाया, जहां आज हजारों लोग दूर-दूर के शहरों से भी यहां आते हैं। यह पिकनिक स्पॉट बन गया है।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि जब इस पार्क का नामकरण करना था तो बहुत सुझाव आए, किसी ने कहा गांधी या नेहरू के नाम पर पार्क रख लो। मगर, मैनें कहा नेहरू और गांधी के नाम पर सारा हिंदुस्तान है। आजादी में नेता जी सुभाष चंद्र बोस का बहुत बड़ा योगदान है और इनको कभी याद नहीं किया गया।

उन्होंने  नेता जी की प्रतिमा सन् 2000 में यहां लगाई। आज सारे कार्यकर्ता सारे काम छोड़कर इस दिन को याद करने से नहीं भूलते और यहां पर आकर हम नेता जी को, जिन्होंने जयहिंद का नारा दिया था, हम जय हिंद करने अवश्य आते हैं।

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