November 22, 2024

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप सिंह दहिया ने कहा कि जाट आंदोलन के दौरान सरकार के सामने छह मांग रखी गई थी। इनमें से तीन मांगों को सरकार ने मान लिया है जबकि तीन मांगें अभी भी बची हुई हैं। अब 29 जनवरी को अमित शाह की रैली गोहाना में है।

ऐसे में सरकार उनकी बची हुई तीन मांगों को भी मान ले। अगर इन मांगों को नहीं माना जाता है तो 29 जनवरी के बाद भिवानी लोहारू, 12 फरवरी को हिसार, 19 फरवरी को झज्जर के बाद करनाल, जींद तथा कैथल में जाट समाज के लोगों के सामने जाकर अपनी विचारधारा रखेंगे और आगामी आंदोलन की रणनीति बनाएंगे।

इस मौके पर सत्यवान ईक्कस को समिति के प्रदेश महासचिव और जींद प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया।

प्रताप सिंह दहिया रविवार को कम्युनिटी सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 19 मार्च 2017 को भाजपा केंद्र सरकार के निर्देश पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल व मंत्रियों के साथ संघर्ष समिति के बीच समझौता हुआ था।

जिसमें आंदोलन के दौरान घायल हुए लोगों को मुआवजा, 20 फरवरी 2016 के आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों के परिवारों को मुआवजा व सरकारी नौकरी, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमाें में गिरफ्तारी पर तुरंत रोक, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमाें की वापसी, हरियाणा के जाट समाज को प्रदेश स्तर पर ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण, देशभर के जाट समाज को केंद्रीय स्तर पर आरक्षण दिया जाए।

इसके बाद 11 फरवरी 2018 को जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे सरकार वापस ले, जिन पर हाईकोर्ट में अभी भी स्टे लगा हुआ है।

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