भूधंसाव प्रभावित जोशीमठ में हर व्यक्ति की अपनी कथा-व्यथा है। किसी का मकान उजड़ रहा है तो किसी की दुकान, रेस्टोरेंट और होटल। लेकिन, इस परिदृश्य में उन प्रभावितों की ओर शायद ही किसी का ध्यान गया होगा, जो प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आकर यहां किराये पर दुकान, रेस्टोरेंट व होटल लेकर अपना कारोबार कर रहे हैं।
भूधंसाव की जद में आने से उनके व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लाल निशान लग गए। अब उनके पास अपना कहने को यहां कुछ भी नहीं बचा। कहां जाएं और इतना सामान समेट कर कहां ले जाएं, यही चिंता उन्हें घुन की तरह खाए जा रही है।
अफसोस तो इस बात का है कि होटल समेत अन्य व्यवसायों से जुड़े ऐसे कारोबारियों के लिए कोई नीति भी नहीं बनी है। ऐसे में अंधेरे के सिवा उन्हें क्या और नजर आएगा।
जोशीमठ इस सीमांत क्षेत्र का सबसे बड़ा एवं प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। आसपास के गांवों का भी यह मुख्य बाजार है। पर्यटन और तीर्थाटन से यहां हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। लेकिन, इस आपदा के बाद पर्यटन कारोबार पूरी तरह बरबाद हो चुका है। ऐसे में व्यापारियों का चिंतित होना लाजिमी है।