दिल्ली को हरियाणा के अलावा चंड़ीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू व कश्मीर को जोडऩे वाले नेशनल हाईवे-44 के 70 किलोमीटर लंबे हिस्से का शिलान्यास 5 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। प्रधानमंत्री ने शिलान्यास के दौरान कहा था कि इस हाईवे के महत्व को देखते हुए इसे कम समय में बनाने का प्रयास किया जाएगा।
सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार इस प्रोजेक्ट के शुरुआत में इसे छह लेन तैयार करना था, मगर यहां पर भारी वाहनों की अधिकता को देखते हुए बाद में इसे आठ लेन में तबदील कर दिया। इसके अलावा दोनों तरफ दो-दो लेन के सर्विस रोड भी तैयार करने हैं। उस समय इस पर करीब 2128.72 करोड़ की लागत आने का अनुमान लगाया गया था। मगर प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण लागत और बढ़ गई। यह रकम बिल्ड ऑपरेशन एंड ट्रासंफर मोड़ (बीओटी) के आधार पर खर्च करने थे जिसे निर्माण अवधि से लेकर 17 साल तक कंपनी को टोल वसूलना था।
निर्माता कंपनी एस्सल ग्रुप को इसे अप्रैल 2019 तक पूरा करना था। शुरुआत में कंपनी ने काम में गति दिखाई मगर यह ज्यादा दिन नहीं चल सकी। हालात यहां तक पहुंच गए कि हाईवे को जगह-जगह खोदाई कर काम को बीच में छोडऩे के कारण आए दिन हादसे होने लगे। जीटी रोड पर रोजाना 80 हजार से अधिक वाहनों के गुजरने के कारण यहां पर आए दिन जाम आम हो गया।। बाद में एस्सल कंपनी ने काम को रोक दिया। अति महत्वपूर्ण हाईवे का काम बंद होने पर सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भी दबाव में आ गया और इस काम का ठेका बदल कर वेलस्पन कंपनी को दे दिया।
इससे कंपनी से शुरुआत से ही लंबित काम को गति से निपटाना शुरू कर दिया। मगर यह पूरा प्रोजेक्ट किसानों द्वारा 8 किलोमीटर का एरिया खाली करने के बाद ही बनाना शुरू किया। यह प्रोजेक्ट 31 दिसंबर तक पूरा किया जाना था। लेकिन अभी कई जगह फ्लाईओवर अधूरे होने के कारण इसे पूरा करने में ज्यादा समय लगेगा। अब इसे 31 जनवरी तक पूरा करने की बात कही जा रही है।