सीपीजे की 2022 की जेल जनगणना के अनुसार, इस वर्ष पत्रकारों को कारावास भेजने के मामलों में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि हुयी है। 1 दिसंबर, 2022 तक, दुनिया भर के विभिन्न देशों में 363 पत्रकारों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया था – यह एक नया वैश्विक उच्च रिकार्ड जो पिछले साल के रिकॉर्ड से 20% अधिक है और बिगड़ते हुए मीडिया परिदृश्य में एक और गंभीर मील का पत्थर साबित होता है।
पत्रकारों को जेल भेजने वाले शीर्ष पांच देश क्रमशः ईरान, चीन, म्यांमार, तुर्की और बेलारूस हैं। मीडिया को दबाने के लिए अधिनायकवादी सरकारों के बढ़ते दमनकारी प्रयासों के पीछे का एक प्रमुख कारण: कोविड-19 से बाधित दुनिया में बढ़ते हुए असंतोष पर पर्दा डालने की कोशिश और यूक्रेन पर रूस के युद्ध से उपजी हुए आर्थिक गिरावट है।
→ सीपीजे द्वारा 1992 में जेल में बंद पत्रकारों की जनगणना शुरू करने के बाद से लगातार दूसरे वर्ष भारत में सात पत्रकार जेल में हैं जो कि रिकॉर्ड के अनुसार उच्च स्तर पर हैं।
→ कश्मीरी पत्रकारों आसिफ सुल्तान, फहद शाह, और सज्जाद गुल को जेल में रखने के लिए जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (जम्मू एन्ड कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट) नामक एक कानून के उपयोग पर भारत निरन्तर अपनी आलोचना करवा रहा है। यह सभी कश्मीरी पत्रकार अलग-अलग मामलों में अदालत द्वारा आदेशित जमानत दिए जाने के बाद भी इस कानून के तहत सलाखों के पीछे हैं।
→ आतंकवाद से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत इन सात में से छह पत्रकारों की जांच की जा रही है।
→ तीन पत्रकार एक वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद हैं।