एक अनोखे मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के कर्मी की पेंशन में पाकिस्तान में दी गई सेवाओं का लाभ जोड़ने का आदेश दिया है। कर्मचारी लंबी कानूनी लड़ाई में दम तोड़ चुका है।
अब सरकार को उसकी विधवा को पेंशन की राशि पांच प्रतिशत ब्याज सहित देनी होगी। बिशन दास पटवारी के तौर पर भावलपुर (वर्तमान में पाकिस्तान में) में 14 जुलाई 1936 में भर्ती हुए थे।
1947 में देश का बंटवारा हुआ तो वह भारत आ गए। इसके बाद पंजाब सरकार ने उन्हें पुनर्वास विभाग में क्लर्क का पद दे दिया। पंजाब का विभाजन तीन राज्यों के रूप में हुआ तो उन्होंने हरियाणा सरकार को सेवा देना आरंभ कर दिया।
जब बिशनदास की आयु रिटायरमेंट की हुई तो उन्होंने पेंशन के लिए हरियाणा सरकार से अपील की। हरियाणा सरकार ने उन्हें पेंशन से इन्कार कर दिया। प्रदेश सरकार की दलील थी कि बिशनदास की नियुक्ति मंजूर पद पर नहीं हुई थी।
इसके बाद बिशनदास ने सिविल सूट फाइल किया जो उनके पक्ष में रहा। प्रदेश सरकार ने अपील दाखिल की तो केस दोबारा ट्रायल कोर्ट भेज दिया गया।