अब जमीन खरीदने से लेकर विदेशी यात्रा, सभी खर्चे इनकम टैक्स डिपोर्टमेंट से नहीं छिप सकते हैं। यदि कोई जमीन खरीदता, बेचता था तो 30 लाख रुपये से अधिक की रजिस्ट्री होने पर आयकर विभाग को तहसील से जानकारी जुटानी पड़ती थी। मिलीभगत के चलते बहुत समय आयकर का जानकारी मिलने लग जाता था। अब ऐसा नहीं है।
बच्चों की महंगी शिक्षा हो या शादी विवाह की पूरी जानकारी आयकर विभाग को नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। अब इस जानकारी को जुटाने के लिए न तो आयकर विभाग को अतिरिक्त स्टाफ लगाने की जरूरत और न ही कई-कई महीने रैकी करने की आवश्यकता। बात चाहे जमीन खरीदने की हो या कार की। बच्चों की महंगी शिक्षा हो या विदेश यात्रा, आयकर विभाग के समक्ष कुछ नहीं छिपा रहता।
अब तो आयकर विभाग ने करदाताओं को पलट कर बताना शुरू कर दिया है कि वे अपने रिटर्न में जो आय बता रहे हैं वह फर्जी है।विभाग अपनी तरफ से करदाता को उनकी आय और खर्च के आंकड़े भी भेजने लगा है। इसके नोटिस भेजने की शुरुआत भी हो गई है।
इनकी सूचनाएं इतनी सटीक हैं कि करदाता उसे नकार भी नहीं पा रहे। बैंक, स्टाक एक्सचेंज, विदेशी मुद्रा देने वाले, रजिस्ट्रार, एनबीएफसी, पोस्ट मास्टर जनरल और वित्त से जुड़े 18 ऐसे संस्थान हैं जो एक निर्धारित सीमा से अधिक होने वाले खर्च के संबंध में नियमित रूप से आयकर विभाग को सूचना देते हैं।